PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आज होगी द्विपक्षीय बैठक, इस मुद्दे पर चर्चा संभव

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस के कजान पहुंचे हैं. विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि आज इन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बैठक होनी है. इस बैठक में सीमा विवाद पर बात बनने की संभावना जताई जा रही है.

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Courtesy: Social Media

Brics Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस दौरे पर हैं. रूस के कजान में हो रहे इस बैठक में शामिल होने के लिए ब्रिक्स समूह के अन्य देश भी पहुंचे हैं. इस मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी कजान में हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बताया कि पीएम मोदी बुधवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. यह बात तब कही गई जब दोनों देशों के बीच विवादित सीमा पर एक समझौता होने की बात कही गई है. 

भारतीय पक्ष द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त व्यवस्था पर समझौते ने नवंबर 2022 में बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी के बीच उनकी संक्षिप्त मुलाकात के बाद पहली औपचारिक बातचीत की संभावना को बढ़ा दिया है.

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बैठक 

मिस्री ने रूसी शहर कज़ान में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मैं पुष्टि कर सकता हूं कि बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी. हालांकि उन्होंने बैठक के परिणामों का विवरण देने या पूर्वावलोकन करने से इनकार कर दिया. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच पिछली बार अक्टूबर 2019 में ममल्लापुरम में अपने दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान एक बैठक हुई थी. यह बैठक सीमा विवाद शुरू होने से एक महीने पहले हुई थी.

इस मुद्दे पर बात संभव

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 4 जुलाई को कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान और 25 जुलाई को लाओस में आसियान से संबंधित बैठकों के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी. जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स से संबंधित बैठक के दौरान वांग से मुलाकात की. उम्मीद की जा रही है कि बैठक में दोनों पक्षों द्वारा शांतिकालीन पदों पर सैनिकों को वापस बुलाने और तनाव कम करने के तौर-तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है. गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत और चीन ने एलएसी पर लगभग 60,000 सैनिकों को तैनात किया था.

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