गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि हमास और इजरायल के बीच हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद से अब तक इजरायली हमलों में कम से कम 73 लोगों की जान जा चुकी है.
गाजा की सिविल डिफेंस एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बस्सल ने एएफपी को जानकारी दी कि मारे गए लोगों में 20 बच्चे और 25 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, करीब 200 लोग घायल हुए हैं.
गाजा निवासी सईद अल्लौश ने कहा, "हम संघर्ष विराम का इंतजार कर रहे थे और बेहद खुश थे. 7 अक्टूबर के बाद से यह सबसे खुशहाल रात थी," उन्होंने 2023 में हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले की ओर इशारा करते हुए यह बात कही, जिसने युद्ध को जन्म दिया.
सईद अल्लौश ने एएफपी को बताया, "अचानक… हमें 40 लोगों की शहादत की खबर मिली," जिनमें मेरे चाचा भी शामिल थे. "पूरे इलाके की खुशी मातम में बदल गई, जैसे कोई भूकंप आ गया हो."
राहत कार्यकर्ता इब्राहिम अबू अल-रीश ने एएफपी को बताया कि संघर्ष विराम के बाद एक पांच मंजिला इमारत को निशाना बनाया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग मौजूद थे. अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा संगठन 'डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' (MSF) ने एएफपी को बताया कि गाजा में अब भी कोई खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता.
MSF की आपातकालीन समन्वय अमांडे बाज़ेरोल ने कहा, "पिछली रात 20 मिनट तक खुशियों की गूंज थी, लेकिन उसके बाद वह रात खून से सनी हुई थी."
गुरुवार को कतर ने घोषणा की कि इजरायल और हमास ने लंबे समय से प्रतीक्षित संघर्ष विराम समझौते पर सहमति व्यक्त की है, जिससे गाजा पट्टी में हो रहे संघर्ष को रोकने और इजरायली बंधकों को रिहा करने का रास्ता साफ हुआ है. बुधवार को हुए इस समझौते के तहत, गाजा में मौजूद लगभग 100 बंधकों में से 33 को अगले छह सप्ताह में रिहा किया जाएगा, जिसके बदले इजरायल सैकड़ों फिलिस्तीनियों को जेल से रिहा करेगा.
इसके अलावा, इजरायली सेना कई क्षेत्रों से पीछे हटेगी, जिससे लाखों फिलिस्तीनी अपने बर्बाद घरों की ओर लौट सकेंगे, और मानवीय सहायता में बहुत इजाफा होगा. हालांकि, गुरुवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि हमास के साथ "आखिरी क्षण की बाधा" इस समझौते को अटका रही है.
वहीं, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के दो सदस्यों ने प्रधानमंत्री के इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि वे समझौते के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.
हमास के अधिकारी सामी अबू ज़ुहरी ने एएफपी को बताया, "संघर्ष विराम समझौते की शर्तों से पीछे हटने के नेतन्याहू के दावे का कोई आधार नहीं है."