मौजूदा हालात में बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ आ सकता है, शेख हसीना और खालिदा जिया फिर एक बार एक मंच पर आ जाएं इसकी संभावना है. लंदन में इलाज करा रही खालिदा जिया, सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी में है. वहीं, शेख हसीना भारत से बांग्लादेश की राजनीतिक हालात पर नजर रख रही है.
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर इतिहास को दोहराने की ओर बढ़ रही है. लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने के प्रयासों के बीच राजनीतिक समीकरण बदलते दिखाई दे रहे है. जैसे 1990 में शेख हसीना और बेगम खालिदा जिया ने तानाशाह हुसैन मोहम्मद के खिलाफ एक होकर और मिलकर आंदोलन किया था, वैसे ही हालात अब फिर बनते दिखाई दे रहे है. इस बार नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस निशाने पर है.
5 अगस्त को शेख हसीना के गद्दी छोड़ देने के बाद बांग्लादेश के नेशनलिस्ट पार्टी को उम्मीद थी कि सत्ता की बागडोर बेगम खालिदा जिया या उनके बेटे तारिक रहमान संभालेंगे. लेकिन हालात उस समय बदले जब नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने मुख्य सलाहकार के रूप में सत्ता पर हक जमा लिया. मोहम्मद यूनुस पर यह आरोप है की वे लगातार लोकतांत्रिक चुनाव कराने में बहानेबाजी कर रहे हैं और सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे है.
देश के बड़े हिस्से में जनता की मांग है कि "हमें चुनी हुई सरकार चाहिए, सिलेक्टेड नहीं". लोगों के बीच इस असंतोष के कारण विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द चुनाव नहीं हुए तो मोहम्मद यूनुस भी तानाशाह इरशाद की तरह सत्ता पर तानाशाही कर सकते है.
जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद जिन्होंने 1982 में सैन्य तख्तापलट के जरिए बांग्लादेश की सत्ता पर कब्जा किया और खुद को राष्ट्रपति घोषित किया था. उनका शासन मानवाधिकारों के हनन और लोकतंत्र के दमन के लिए निंदनीय था, लेकिन 1990 में शेख हसीना और खालिदा जिया ने जनता का समर्थन जुटाकर इरशाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक आंदोलन छेड़ दिया था.
विरोध प्रदर्शनों, आम हड़तालों और अंतरराष्ट्रीय दबाव उनके शासन के अंत का कारण बने. मोहम्मद इरशाद को 6 दिसंबर 1990 को इस्तीफा देना पड़ गया.
मौजूदा हालात में बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ आ सकता है, शेख हसीना और खालिदा जिया फिर एक बार एक मंच पर आ जाएं इसकी संभावना है. लंदन में इलाज करा रही खालिदा जिया, सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी में है. बांग्लादेश के बाहर रहकर भी खालिदा जिया आंदोलन को रणनीतिक बढ़त दिला सकती हैं.
वहीं, भारत ने शेख हसीना के लिए वीजा विस्तार की अनुमति देकर यह संकेत दिया है कि वह बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करता है. यह कदम नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है.