Lifestyle: सोते समय खर्राटे मारना केवल पास सोने वाले को ही डिस्टर्ब नहीं करता परन्तु कई तरह की गंभीर बीमारियों के संकेत भी देता हैं. खर्राटे आना, स्लीप एनीमिया का एक लक्षण बताया जाता है. जिससे जान जाने का खतरा भी बना रहता है. हार्ट स्पेशियलिस्ट के मुताबिक नींद में लगातार एवं तेज आवाज में खर्राटे आना बहुत नुकसान दायक है. इसे कभी की इग्नोर नहीं करना चाहिए नहीं तो आपकी समस्या बढ़ सकती है. वहीं इस हालात में तुरंत आप आपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें.
बता दें कि स्लीप एपनिया एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है. जिसके कारण मरीज को बिना जानकारी मिले ही सांस रुकने व आनी शुरू हो जाती है. मगर ऐसा गला ब्लॉक होने से हुआ है तो इसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहते हैं. वहीं अगर दिमाग के सिंग्नल न मिलने से हुआ है तो सेंट्रल स्लीप एपनिया बोला जाता है.
खर्राटे आने के लिए स्लीप एनीमिया को सबसे बड़ी वजह मानी जाती है. वहीं इससे पीड़ित मरीज को सोते वक्त लगातार सांस रुकने जैसा एवं चालू हो जाने जैसा महसूस करते हैं. जिसके कारण इसके मरीज उठकर हांफने लगते हैं. इसके अतिरिक्त अधिक नींद आना, सिरदर्द बने रहना, मुंह सूखना, थकावट होना, रात में बार-बार पेशाब आने के साथ कई अन्य समस्या बनी रहती है.
स्लीप एनीमिया का खतरा अधिक पुरुषों को होता है. परन्तु प्रेग्नेंसी के दरमियान मेनोपॉज के वक्त या इसके कुछ टाइम बाद तक महिलाओं को भी स्लीप एनीमिया से बचना चाहिए. साथ ही हार्मोन बदलने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है.
शरीर की एक्टिविटी को मैनेज करके खर्राटे को रोका जा सकता है. जबकि बिना किसी रुकावट के नींद पाने के लिए ब्रीदिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं ओरल डिवाइस, माउथ और फेशियल थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है.