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एक दूसरे से तुलना करने पर बच्चों में भेदभाव पैदा होता है.जिसके बाद बच्चे एक दूसरे को पंसद करना बंद कर देते है. साथ ही भाई बहन के बीच दरार बचपन से ही आ जाती है.
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मां-बाप जब बच्चों को किसी काम के काबिल नहीं समझते बस अपने बच्चों की एक दूसरे से तुलना करते हैं तब बच्चे धीरे- धीरे दूर होने लगते हैं.
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तुलना होने के कारण बच्चे अक्सर बेहतर प्रदर्शन करने के तनाव में आ जाते हैं और खुले दिमाग से सोच नहीं पाते. जिस काम को वे बेहतर कर सकते थे उसे भी वे तनाव के कारण बिगाड़ देते हैं
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तुलना होने से बच्चे को यह भरोसा हो जाता है कि वे सामने वाले से कमज़ोर हैं, जिसके बाद उनके अंदर कुछ करने की क्षमता कम हो जाती है. जल्दी ही हार मान जाते हैं.इससे बच्चों में बहुत तेज़ी से आत्मविश्वास गिरता है और उन्हें खुद पर भरोसा नहीं रह जाता है