Microplastic: भारत में बोतलबंद पानी या पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर का सेवन काफी आम है. हालांकि अब यह पानी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में बोतलबंद पानी को हाई रिस्क फूड कैटेगरी में शामिल किया है.
इसके तहत अब सभी बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों की सालाना जांच की जाएगी ताकि पानी की क्वालिटी सुनिश्चित की जा सके. लेकिन सवाल यह है कि एफएसएसएआई ने इस कदम को क्यों उठाया और बोतलबंद पानी स्वास्थ्य के लिए कैसे खतरनाक हो सकता है.
प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने से माइक्रो प्लास्टिक आपके शरीर में प्रवेश करता है. माइक्रो प्लास्टिक न केवल शरीर बल्कि ब्रेन तक पहुंच सकता है, जो कि बेहद खतरनाक है. कुछ बड़े होटलों ने पहले से ही शीशे की बोतलों में पानी देना शुरू कर दिया था क्योंकि उन्हें यह पता था कि प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से माइक्रो प्लास्टिक शरीर के अंदर जा सकता है. हालांकि कुछ जगहों पर अभी भी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया जाता है. पहले लोग मटका या सुरई से पानी पीते थे लेकिन अब इनकी जगह प्लास्टिक की बोतलें ने ले ली है. इन बोतलों में सिर्फ प्लास्टिक ही नहीं बल्कि कई अन्य खतरनाक रसायन भी हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं.
आजकल सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि दूध भी प्लास्टिक की बोतल में आता है. इससे भी माइक्रो प्लास्टिक हमारे शरीर में जा रहा है. आज के समय में हर खाना प्लास्टिक में बेचा जा रहा है, जिससे माइक्रो प्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है. जो भविष्य में और भी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. डॉक्टर लोगों को यह सलाह देते हैं कि प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करने की बजाय घर के पानी को उबालकर पिएं. जिससे शरीर को कोई नुकसान न हो. उबला हुआ पानी सुरक्षित होता है और इससे कोई भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती.
डॉक्टर का कहना है कि माइक्रो प्लास्टिक के शरीर में प्रवेश करने से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं. इनमें हार्ट डिजीज, कैंसर और ब्रेन से संबंधित समस्याएं शामिल हैं. माइक्रो प्लास्टिक के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर कई रिसर्च भी हो चुकी हैं. जिनमें यह पाया गया है कि यह ब्रेन तक भी पहुंच सकता है और उसे नुकसान पहुंचा सकता है.