Govardhan Puja: हर वर्ष दिवाली के दूसरे दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. मगर इस साल ऐसा नहीं है. बता दें, कि इस बार दिवाली के दूसरे दिन 13 नवम्बर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक अमावस्या रहेगी. वहीं अगले दिन भी उदय तिथि अमावस्या होंने से गोवर्धन पूजा नहीं मनाई जाएगी. इस कारण दिवाली के बाद होने वाला ये पर्व 14 नवम्बर को मनाया जाएगा.
क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा?
इस पूजा को लेकर शस्त्रों और वेदों में इस दिन बलि की पूजा, गोवर्धन पूजा, गौ-पूजा, अन्नकूट होता है तो इस दिन वरूण, इन्द्र, अग्निदेव आदि देवताओं की पूजा का विधान है. बता दें कि एक बार देवराज इन्द्र ने नाराज होकर सात दिन तक घनघोर वर्षा की थी. इस दौरान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रज को बचा लिया था. और इंद्र को लज्जित होने के पश्चात् उनसे माफी मांगनी पड़ी थी.
क्या है पूजा का महत्व?
इस पूजा का महत्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा सदियों वर्ष पहले ही समझा दिया गया था. कि मनुष्य तभी खुश रह सकता है जब वह प्रकृति को प्रसन्न रखे. प्रकृति को भगवान माने और उसी रूप में उसकी पूजा करें, हर हाल में प्रकृति की रक्षा करें.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार गोवर्धन पूजा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 35 मिनट से 8 बजे तक रहेगा. साथ ही इस दिन शोभन योग, पराक्रम योग, वाशी और सुनफा योग भी है. यह पूजा पाठ मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत लाभकारी है. इस दिन गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है. इस दिन भगवान को 56 भोग लगाने की परंपरा भी है.