World Hindi Day: हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा होने के साथ-साथ फिजी की भी आधिकारिक भाषा है, दुनिया भर में लाखों लोग इसे बोलते हैं. विश्व हिंदी दिवस हिंदी के वैश्विक प्रभाव और सांस्कृतिक एवं भाषाई एकता को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है. यह दिन हिंदी भाषा की समृद्ध विरासत, उसके साहित्यिक योगदान और डिजिटल युग में बढ़ती उपस्थिति का उत्सव है.
विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत 10 जनवरी 2006 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई थी. तब से हर साल 10 जनवरी को यह दिन मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की प्रेरणा 1975 में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन से मिली थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आयोजित किया था. यह सम्मेलन महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इस सम्मेलन ने हिंदी को दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण भाषा के रूप में पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था.
विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है, जबकि हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. 2025 में विश्व हिंदी दिवस की थीम 'एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज़' है. यह थीम हिंदी भाषा के माध्यम से भाषाई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चुनी गई है. ये दिन भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर के देशों में एकता और विविधता को एक साथ समाहित करती है.
विश्व हिंदी दिवस का महत्व न केवल हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में है, बल्कि यह दिन हिंदी भाषा की सांस्कृतिक धरोहर और वैश्विक प्रभाव को भी दर्शाता है. इस दिन दुनिया भर में सेमिनार, कार्यशालाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जो हिंदी भाषा के साहित्यिक प्रभाव और डिजिटल दुनिया में इसके बढ़ते उपयोग को उत्सव के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
इस दिन का उद्देश्य हिंदी भाषा के उपयोग को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ावा देना है. जिससे यह भाषाई विविधता में एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रों के बीच संबंधों को मजबूत करने में भी सहायक बनती है. हिंदी जो लाखों लोगों द्वारा बोली जाती है. एक ऐसी भाषा है जो विभिन्न देशों में सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक बन चुकी है.
विश्व हिंदी दिवस 2025 न केवल हिंदी भाषा की पहचान और महत्ता को मनाने का अवसर है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि भाषा सिर्फ संवाद का एक माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों की नींव भी है. हिंदी के वैश्विक प्रभाव और उसकी समृद्ध विरासत को संजोने के साथ हम इसे और अधिक प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसे अपनी पहचान और गर्व के रूप में जानें.