Atal Bihari Vajpayee: 'अटल बिहारी वाजपेयी को तार्किक वादविवाद में हरा पाना बहुत ही कठिन था', आज है उनका जन्मदिन

Atal Bihari Vajpayee: तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल जी ने 1999 में पाकिस्तानी सेना द्वारा कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा करने के बाद जून में ऑपरेशन विजय को हरी झंडी दी.

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हाइलाइट्स

  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती
  • बिहारी वाजपेयी की विरोधी भी आलोचना करने से डरते थे

Atal Bihari Vajpayee: आज देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. उनके जन्मदिन को पूरे देश में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. अटल बिहारी प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे कार्य किये जिनके दूरगामी परिणाम मिले. लेकिन वह हमेशा अपने शानदार भाषणों और दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. अपनी समावेशी राजनीति के कारण वह कई बार अपने विरोधियों को भी साथ लेने में सफल रहे. उनकी वाक्पटुता और तर्कशक्ति के सामने कोई टिक नहीं पाता था. इस बार 99वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए बीजेपी देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले वे विश्व के पहले व्यक्ति थे अटल विहारी

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उन्होंने हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की थी. कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनता पार्टी का हिस्सा रहे अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक थे. संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले वे विश्व के पहले व्यक्ति थे.

अटल जी शुरू से ही अपने भाषणों से दूसरों को प्रभावित करते थे. यहां तक ​​कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी उनके भाषणों से प्रभावित थे. उन्होंने कहा था कि अटल जी एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे. उनके हर भाषण में उनके कवि की झलक जरूर दिखती थी.

विरोधी भी आलोचना करने से डरते थे

एक समय था जब भारतीय राजनीति में कोई भी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी से दूरी बनाकर रखता था. इसके प्रत्येक नेता की तीखी आलोचना होती थी. लेकिन अटल जी इसके अपवाद थे. यहां तक ​​कि उनके विरोधी भी उनकी आलोचना करने से डरते थे. वाजपेयी ने खुलकर हिंदुत्व और अपनी पार्टी के ज्वलंत मुद्दों की वकालत की और अपने आलोचकों को भी बखूबी चुप कराया.

संसद में उनका भाषण एक ऐतिहासिक दस्तावेज

1996 के आम चुनाव में उनकी पार्टी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी. फिर वाजपेयी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला, लेकिन वे लोकसभा में बहुमत नहीं जुटा सके. 13 दिन की इस सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर संसद में उनका भाषण एक ऐतिहासिक दस्तावेज है. तब उन्होंने अपने विरोधियों को भी मना लिया था और उनका साथ छोड़ दिया था. इस भाषण का इतना प्रभाव पड़ा कि इसके बाद अटल जी पहले 13 महीने और फिर 5 साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बने.

सीएम योगी ने अटल विहारी के जयंती पर क्या कहा 

राम मंदिर और अटल जी की जयंती एक साथ होने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस साल इस आयोजन का महत्व और अधिक हो गया है. वो बातें जिनके बारे में कभी अटल जी ने लिखा था - तन-मन हिंदू, हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू, हिंदू मेरा परिचय... जिन मूल्यों और आदर्शों के लिए अटल जी ने जीवन जिया वो भगवान राम की महिमा का प्रतीक हैं . मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को पीएम मोदी करेंगे। यह भी अद्भुत संयोग है कि इस वर्ष अटल जी की जन्म शताब्दी का भी वर्ष है.  अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. पूरे साल कई कार्यक्रम होंगे और 25 दिसंबर 2024 को भव्य समारोह देखने का मौका भी मिलेगा.