नई दिल्ली : आशना लिड्डर, जो इस समय अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हैं, उस दुखद घटना को कभी नहीं भूल सकतीं जब उन्होंने महज 16 साल की उम्र में 8 दिसंबर, 2021 को अपने पिता ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर के निधन के बारे में सुना था. यह हादसा एक सैन्य हेलीकॉप्टर दुर्घटना था, जिसमें उनके पिता की जान चली गई थी.
तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए इस हेलीकॉप्टर दुर्घटना ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया था. भारतीय सेना के प्रतिष्ठित अधिकारियों में से एक, ब्रिगेडियर लिड्डर के निधन ने न केवल उनके परिवार को अपूरणीय क्षति दी, बल्कि पूरे देश में एक शोक की लहर दौड़ा दी. यह दुर्घटना उन दिनों की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया.
आशना लिड्डर, जो उस समय एक किशोरी थीं, इस दुर्घटना के बाद से एक नई जिंदगी के साथ अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा, "हम उन्हें अपनी यादों में हमेशा जीवित रखेंगे." यह शब्द उनके दिल की गहरी भावना को व्यक्त करते हैं, जो न केवल उनके पिता की यादों से जुड़ी हुई है, बल्कि एक बेटी के रूप में उनके लिए एक सम्मान भी है.
आशना का यह कहना कि वह अपने पिता को अपनी यादों में जिंदा रखेंगी, उनकी शक्ति और समर्पण को दर्शाता है. यह बयान न केवल उनके पिता के प्रति गहरी श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह इस कठिन समय में भी अपने परिवार की मान्यताओं और मूल्यों को जीवित रख रही हैं.
ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर का निधन न केवल एक निजी हानि थी, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति थी. उनकी बेटी आशना लिड्डर ने उनके जाने के बाद भी अपनी यादों में उन्हें जीवित रखने का संकल्प लिया है, जो उनके साहस और परिवार के प्रति उनकी समर्पण भावना को दर्शाता है.