दिल्ली के 40 स्कूलों को मिली बम से उड़ाने की धमकी, ईमेल भेजने वाले ने की 30 हजार डॉलर की मांग

दिल्ली में बम धमकी का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. साल की शुरुआत से ही लगातार दिल्ली के कई स्कूलों,अस्पतालों और सार्वजनिक जगहों को हम से उड़ाने की धमकी दी जा रही है. एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी के 40 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है.

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Courtesy: Social Media

Delhi School Bomb Threats: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 40 स्कूलों को आज सुबह-सुबह बम से उड़ाने की धमकी मिली है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब दिल्ली के स्कूलों को ये धमकी मिली हो. इस साल की शुरूआत से कई बार दिल्ली के कई स्कूलों को धमकी आ चुकी है. हालांकि जांच के दौरान किसी भी तरह का कोई बम नहीं मिला है. लेकिन इन धमकियों की वजह से राजधानी के स्कूलों में डर का माहौल है. 

सोमवार की सुबह दिल्ली के 40 से ज़्यादा स्कूलों को ईमेल के माध्यम से बम धमकियों का सामना करना पड़ा. इस घटना के बाद स्कूल प्रशासन ने तुरंत छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें घर भेज दिया. धमकी भरे ईमेल में लिखा गया, मैंने इमारत के अंदर कई बम (लेड एजाइड) लगाए हैं. बम छोटे हैं और इतनी कुशलता से छिपाए गए हैं कि इन्हें ढूंढ पाना मुश्किल है. विस्फोट से इमारत को बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन कई लोग गंभीर रूप से घायल हो जाएंगे. अगर मुझे 30,000 डॉलर नहीं मिले, तो मैं विस्फोट कर दूंगा. 

अधिकारी ने दी जानकारी 

अधिकारियों के मुताबिक इन धमकी भरे ईमेल्स की शुरुआत सुबह 6:15 से 7:00 बजे के बीच हुई. सबसे पहले धमकी डीपीएस आरके पुरम को सुबह 7:06 पर और जीडी गोयनका, पश्चिम विहार को सुबह 6:15 पर मिली. इसके बाद मदर मैरी स्कूल, ब्रिटिश स्कूल, सलवान पब्लिक स्कूल, मॉडर्न स्कूल, कैम्ब्रिज स्कूल और कई डीएवी स्कूल सहित अन्य शिक्षण संस्थानों ने भी ऐसी ही धमकियां मिलने की जानकारी दी. घटना की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली अग्निशमन विभाग, डॉग स्क्वायड, बम निरोधक दल और स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची. अधिकारियों ने इन स्कूलों में व्यापक तलाशी अभियान चलाया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक किसी भी स्कूल में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है.  

दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश 

राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ती बम धमकियों की घटनाओं को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और पुलिस को एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने कहा कि सभी हितधारकों  कानून प्रवर्तन, स्कूल प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों की भूमिकाएं स्पष्ट होनी चाहिए ताकि ऐसी आपात स्थितियों में प्रभावी समन्वय सुनिश्चित हो सके. इस कार्य योजना को आठ सप्ताह में पूरा करने की समय सीमा तय की गई है. 

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