जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने में जुटी अब्दुल्ला सरकार, पहली कैबिनेट में प्रस्ताव पारित

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सत्ता में आते ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने में जुट गए हैं. इसके लिए कैबिनेट के पहले बैठक में प्रस्ताव पारित कर दिया गया है.

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Courtesy: X POST

Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव को पारित किया. इस प्रस्ताव के माध्यम से अब्दुल्ला सरकार ने एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर रही केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की अपील की है. 

नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी की ओर से प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया गया है. अब उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला नई दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्ताव सौंपेंगे. जम्मू-कश्मीर कैबिनेट के इस फैसले पर अलग-अलग पार्टियों द्वारा प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है.

पीडीपी ने क्या कहा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद पारा ने कहा कि 'राज्य के दर्जे पर उमर अब्दुल्ला का पहला प्रस्ताव 5 अगस्त, 2019 के फ़ैसले की पुष्टि से कम नहीं है. अनुच्छेद 370 पर कोई प्रस्ताव नहीं होना और मांग को सिर्फ़ राज्य के दर्जे तक सीमित कर देना एक बहुत बड़ा झटका है, ख़ास तौर पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के वादे पर वोट मांगने के बाद'.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की दी सहमति

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए तत्काल सुनवाई के लिए चर्चा की गई.  शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. इससे पहले 11 दिसंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखा था. जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। कोर्ट की तरफ से सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाने का भी आदेश दिया गया था. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में 18 सितंबर से 1 तक मतदान हुआ. जिसके नतीजे 5 अक्टूबर को जारी किए गए. इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी ने बाजी मार ली. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को 10 सालों बाद अपना मुख्यमंत्री मिला. 

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