Aditya L1 Mission: भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य एल1 अंतरिक्ष में सफर के लिए तैयार हो चुका है. 2 सितंबर यानि आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसको लॉन्च किया जाएगा. पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर पर सूर्य-पृथ्वी के मध्य आदित्य एल1 स्थापित होगा. वहीं इससे पूर्व 800 किलोमीटर दूर पृथ्वी के निचले भाग में स्थापित करने की बात सामने आ रही थी.
IIA (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ) के प्रोफेसर जगदेव सिंह के निर्देश में ही विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड को बनाया गया है. जिसको आदित्य एल1 अंतरिक्ष में अपने साथ ले जाएगा. उन्होंने कहा कि इसकी मदद से हम सूर्य के अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होंगे, अथवा ये बताएगा कि कौन सी प्रक्रिया की वजह से ठंडा प्लाज्मा अधिक गर्म होता है.
साल 1980 में 16 फरवरी को भारत में पूर्ण रूप से सूर्य ग्रहण देखा गया था. उस दौरान आईआईए (IIA) के फाउंडर-डायरेक्टर एम के वेणु बाप्पु ने जगदेव सिंह सूर्य को सूर्य के बाहरी क्षेत्र का अध्ययन करने की सलाह दी थी. 1980- 2010 के दरमियान सिंह ने 10 अभियान चला दिए परन्तु परेशानी ये थी कि सिर्फ 5 से 7 मिनट का ही वक्त मिलता है. अधिक देर की जांच के लिए इतना समय कम था. जिसके बाद अध्ययन में सहायता करने के लिए उन्होंने इसरो व विभिन्न एजेंसियों में लोगों से अपनी बात रखी. जिसके बाद साल 2012 में इस योजना को विकसित किया गया.
आदित्य एल1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट-1 तक पहुंचने में 127 दिन का समय लगने वाला है. जिसके बाद बचे परीक्षण को पूरा किया जाएगा. वहीं 2024 के फरवरी या मार्च तक डेटा आने लगेगा. किसी भी सैटेलाइट की आयु पांच वर्ष न्यूनतम होती है. लेकिन आदित्य एल1 10- 15 वर्ष तक डेटा देता रहेगा. इसकी खासियत है कि इसको अंतरिक्ष में एल1 प्वाइंट पर रखा जाएगा. ये एक स्थिर बिंदु कहा जाता है. L1 प्वाइंट पर रुत्वाकर्षण के कारण ज्यादा मेहनत नहीं लगने वाला है. जिसकी वजह से इसकी आयु ज्यादा रहेगी. मिशन जब डेटा देने लगेगा तो ऐसा पहली बार होने वाला है जब हम विजिबल इमिशन लाइन पर डेटा प्राप्त करेंगे, यानि देश एक बार फिर इतिहास रचने के लिए तैयार है.