आखिर क्यों गृह मंत्रालय कब्जा करना चाहते हैं BJP के सहयोगी दल? जानें ये 8 वजह

Home Ministry: बीजेपी के सहयोगी दलों की नजर अमित शाह के गृह मंत्रालय पर है. बीजेपी ने भले ही एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है लेकिन इसमें अब विपक्षी दलो ने गृह मंत्रालय  दिए जाने की मांग की है.

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Home Ministry: लोकसभा चुनाव  होने के बाद सबकी नजर परिणाम पर थी. ऐसे में परिणाम घोषित होने के बाद अब सबकी नजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर आ गई है. वहीं अब बीजेपी के सहयोगी दलों की नजर अमित शाह के गृह मंत्रालय पर है. बीजेपी ने भले ही एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है लेकिन इसमें अब विपक्षी दलो ने गृह मंत्रालय  दिए जाने की मांग की है. आइए जानते है ऐसा क्या है कि गृह मंत्रालय सभी को ही चाहिए? 

आखिर क्या है वजह?

1- बीजेपी को इस चुनाव में अकेले बहुमत नहीं मिलने के कारण अब उसे अपने गठबंधन सहयोगियों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. सरकार बनाने के लिए बीजेपी को कम से कम 32 सांसदों का समर्थन की जरूरत है. ऐसे में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) जैसी पार्टियों पर बीजेपी को खास ध्यान देना होगा.

2-एनडीए में शामिल दलों की ओर से कई बड़े अहम मंत्रालयों की मांग की जा रही है. पांच सांसदों वाले चिराग पासवान भी अब एक बड़ी मांग कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के कि टीडीपी और जेडीयू जैसी पार्टियों की नजर भी गृह मंत्रालय पर ही है. आपको बता दें कि पिछले पांच साल से ये अमित शाह के पास है.

3- गृह मंत्रालय की शक्ति पर नजर डालें तो पिछले पांच साल में कश्मीर में जिस तरह से  धारा 370 हटाने का काम किया गया है. धारा 370 हटाने मे अमित शाह की अहम भूमिका रही है. कई राज्यों से एफएसपीए हटाने, इंटेलिजेंस ब्यूरो चलाने और केंद्र शासित प्रदेशों में कई अहम फैसले गृह मंत्रालय ने ही लिए थे. 

4- अगर गृह मंत्रालय किसी सहयोगी दल के पास जाता है तो बीजेपी सीधे तौर पर इंटेलिजेंस, नार्कोटिक्स, एफसीआरए, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे तमाम फैसले लेने में असमर्थ हो जाएगी. बता दें कि देश में आंतरिक सुरक्षा का पूरा कंट्रोल केंद्रीय गृह मंत्रालय का ही होता है. इसमें इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अन्तर्गत ही आता है.

5- केंद्रीय पुलिस बल में आने वाले सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी समेत अन्य संगठन इस गृह मंत्रालय के अंदर ही आते हैं. इसके अलावा आतंक विरोधी विभाग, बॉर्डर मैनेजमेंट और इंटेलिजेंस ब्यूरो भी इसी में शामिल हैं. 
 
6- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जो समन्वय, आपदा प्रबंधन, राजभाषा, पद्म पुरस्कार, पुलिस सेवा पदक, हथियार लाइसेंस, एफसीआरए लाइसेंस, नागरिकता जैसे तमाम  विभाग भी इस मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं. जब एक मंत्रालय के पास इतनी सारी शक्तियां होती हैं तो किसी को मौका मिलेगा तो कोई  भला क्यों  छोड़ना चाहेगा. इस मंत्रालय पर चिराग पासवान के अलावा नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की नजर है. 

7- केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार चलाने के लिए उपराज्यपाल की नियुक्ति की जाती है. दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री का प्रावधान है, लेकिन इन जगहों पर तैनात उपराज्यपालों वह मुख्यमंत्री के बीच लगातार टकराव होता है. बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में गृह मंत्रालय सीधे तौर पर कामकाज देखता है.अगर ऐसा मंत्रालय बीजेपी के पास से चला जाए तो टकराव कम हो सकता है.

8- बीजेपी गृह मंत्रालय जैसे विभाग अगर छोडती है तो अमित शाह सरकार में काफी कमजोर हो जाएंगे और सरकार रहने के बावजूद नरेंद्र मोदी उस तरह सख्त कार्रवाई नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा ऐसे हालात में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच कड़वाहट जैसे  रिश्तों में भी सुधार आ सकता है. हालांकि, यह तभी मुमकिन हो सकता जब आम आदमी पार्टी  मंत्रालय जिसके पास है उससे रिश्ते बेहतर कर ले.

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