Himachal Flood: हिमाचल में भूस्खलन के बाद अब भू-कटाव, प्रदेश में जारी क़ुदरत का क़हर

Himachal Flood: पिछले कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश में अचानक बाढ़ की घटनाओं की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ी है. जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. इससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही जो पहाड़ी इलाके हैं वहां पर खतरा बढ़ गया है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 24 […]

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Himachal Flood: पिछले कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश में अचानक बाढ़ की घटनाओं की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ी है. जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई. इससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही जो पहाड़ी इलाके हैं वहां पर खतरा बढ़ गया है.

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 24 जून को मानसून सीजन की शुरुआत से लेकर 4 सितंबर तक राज्य में अचानक बाढ़ की 72 घटनाएं हुई हैं. इसकी तुलना 2020 के मानसून सीजन से की जाए तो अचानक बाढ़ की 10 घटनाएं, वहीं 2021 में 16 और पिछले साल 75 हुई हैं. इस साल यह संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि मानसून का मौसम अभी खत्म नहीं हुआ है. हिमाचल प्रदेश में बारिश जून से सितंबर के मध्य तक रहती है.

भूमि कटाव के बढ़े मामले

हिमाचल प्रदेश में तकनीक कमियों के चलते सड़क की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हैं. जहां पर पानी के निकलने का कोई सही इंतज़ाम नहीं है. तीन मीटर सड़क के दोनों तरफ की ज़मीन अधिग्रहित की गई है. बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई की वजह से भूमि कटाव हुआ है जो लगातार भूस्खलन आदि की वजह बन रहा है.

अचानक क्यों बढ़ गई घटनाएं

पर्यावरणविदों और मौसम विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ‘सालों से बड़े पैमाने पर अवैज्ञानिक और गैर-कल्पना वाली निर्माण गतिविधियों ने इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दिया है. बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई, पनबिजली परियोजनाओं, सुरंगों और सड़कों के लिए खुदाई, और विशाल इमारतों का निर्माण करने से इस तरह की आपदाएं आती हैं.’

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