नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 3600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को मंगलवार को जमानत देने का आदेश दिया. यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांचा जा रहा है.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि क्रिश्चियन मिशेल जेम्स पिछले छह वर्षों से हिरासत में हैं, जबकि मामले की जांच अभी भी चल रही है. हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि जेम्स को जेल से बाहर नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि उस पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला भी चल रहा है और उसकी जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है. पीठ ने कहा, "जेम्स को 2018 में प्रत्यर्पित किया गया था और वह छह साल से अधिक समय से हिरासत में है, इसके बावजूद सीबीआई के अनुसार जांच अभी भी जारी है." अदालत ने यह भी कहा कि जेम्स को निचली अदालत द्वारा तय शर्तों के तहत जमानत दी जाएगी.
अदालत ने सीबीआई द्वारा जांच की गति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जांच इसी तरह चलती रही, तो मुकदमा 25 वर्षों में भी समाप्त नहीं हो पाएगा. सीबीआई के वकील ने जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि याचिका केवल चिकित्सा आधार पर दायर की गई थी। हालांकि, अदालत ने इस आधार पर भी विचार करते हुए जमानत देने का निर्णय लिया.
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीद से संबंधित है, जिसमें जेम्स एक बिचौलिए के रूप में कथित रूप से शामिल थे. इस मामले में जेम्स के अलावा गुइडो हैश्के और कार्लो गेरोसा भी मुख्य बिचौलिए माने गए हैं. सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, आठ फरवरी 2010 को किए गए हेलिकॉप्टर सौदे से सरकारी खजाने को 39.82 करोड़ यूरो (लगभग 2,666 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून 2016 में धन शोधन से संबंधित मामले में जेम्स के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि जेम्स ने अगस्ता वेस्टलैंड से तीन करोड़ यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) प्राप्त किए थे. जेम्स को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था, और बाद में उसे गिरफ्तार किया गया.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले जेम्स की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि परिस्थितियों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है, जिससे जमानत दी जा सके. इसके बाद, जेम्स ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया.