Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते दिन शनिवार को जन्मतिथि संशोधित करने के मामले में बड़ा निर्णय सुनाया है. दरअसल कोर्ट का कहना है कि, कर्मचारी के सर्विस बुक में प्रथम बार दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं होगा. वहीं अदालत ने आगे बताया कि, भले ही जन्मतिथि को संशोधित कर सही कर दिया गया हो, परन्तु नौकरी के वक्त सर्विस बुक में रिकॉर्ड की गई जन्मतिथि बाद में सर्विस बुक में संशोधित नहीं की जा सकती है.
बता दें कि ये निर्णय जस्टिस मंजीव शुक्ला ने झांसी जिले में प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रही अध्यापिका कविता कुरील की याचिका को खारिज करते बोला है. मिली सूचना के मुताबिक याचिका दाखिल कर अध्यापिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी के 19 अप्रैल 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी. जिसके तहत बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने पूर्व पारित आदेश दिनांक 25 मई 2023 को वापस कर लिया था. साथ ही यूपी रिक्रूटमेंट आफ सर्विस (डिटरमिनेशन आफ डेथ ऑफ़ बर्थ) रूल्स 1994 के नियम 2 के आधार पर टीचर की सर्विस बुक में रिकॉर्ड की गई जन्मतिथि को संशोधित करने से इन्कार कर दिया था.
मिली जानकारी के अनुसार टीचर की ओर से अधिवक्ता एस कुशवाहा ने बताया था कि, याची का हाई स्कूल सर्टिफिकेट के मुताबिक डेट ऑफ बर्थ 3 नवंबर 1967 है. जबकि इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सर्टिफिकेट में अपनी गलती बताते हुए ठीक कर दिया है. वहीं इस हालात में हाईस्कूल सर्टिफिकेट के तहत उक्त नियमावली के आधार पर याची अध्यापिका के सर्विस बुक में जन्मतिथि 3 नवंबर 1960 के बदले 3 नवंबर 1967 दर्ज किया जाए.
अदालत ने अपने निर्णय में बेसिक शिक्षा परिषद के तर्क को सही बताते हुए बोला कि, उत्तरप्रदेश रिक्रूटमेंट आफ सर्विस (डिटरमिनेशन का डेट ऑफ बर्थ) नियम 1974 के नियम 2 के मुताबिक सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड के तहत दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता है. वहीं इस नियमावली को विस्तार से बताते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस नियमावली में प्रतिपादित सिद्धांत को आधार बनाते हुए निर्णय दिया है. इतना ही नहीं इसमें कोई दुविधा वाली बात नहीं है, सर्विस बुक में दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता है. और वह भी तब जब कर्मचारी रिटायरमेंट के नजदीक हो.
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