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कश्यप से जुड़ा हो सकता है कश्मीर का नाम, अमित शाह ने किया बड़ा खुलासा

अमित शाह ने गुरुवार को ‘J&K and Ladakh Through the Ages’ पुस्तक को रिलीज करते हुए कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप से जुड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य, और हेमिष मठ यह साबित करते हैं कि कश्मीर में भारतीय संस्कृति की नीव रही है.

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Courtesy: social media

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ब्रिटिश शासन में हमारे देश का इतिहास उनके अज्ञानता के कारण गलत तरीके से लिखा गया. उन्होंने कहा, इतिहास लुटियन दिल्ली की बैठकों में नहीं लिखा जाता, बल्कि उसको समझा जाता है. अब वह समय खत्म हो चुका है, जब शासकों को खुश करने के लिए इतिहास लिखा जाता था. अमित शाह ने भारतीय इतिहासकारों से अपील किया कि वे प्रमाणों के आधार पर इतिहास लिखें.

गुरुवार को अमित शाह ने ‘J&K and Ladakh Through the Ages’ पुस्तक को रिलीज करते हुए कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप से जुड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिष मठ यह साबित करते हैं कि कश्मीर में भारतीय संस्कृति की नींव रही है. कश्मीर में सूफी परंपरा, बौद्ध धर्म और शैव मठों का बहुत अच्छी तरह से विकास हुआ.

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा गया कि कश्मीरी, डोगरी, बालटी और झंस्कारी भाषाओं को शासन से मान्यता मिली है। यह प्रधानमंत्री की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने यूटी बनने के बाद कश्मीर की स्थानीय भाषाओं को जीवित रखने का संकल्प लिया था। यह इस बात का प्रतीक है कि प्रधानमंत्री कश्मीर और उसकी सांस्कृतिक धरोहर के बारे में कितना सोचते हैं।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A देश को एकजुट करने के बजाय अलग करने वाले प्रावधान थे. संविधान सभा में इन धाराओं को लेकर बहुमत नहीं था, इसलिए इसे टेंप्रेरी से लागू किया गया. लेकिन स्वतंत्रता के बाद, मोदी सरकार ने इस लांछित अध्याय को समाप्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को विकास के नए रास्ते खोले.

उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 ने कश्मीर में अलगाववाद की नींव रखी और युवाओं को गुमराह किया. इसने भारत और कश्मीर के बीच जुड़ाव को कमजोर किया, जिससे घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा मिला. लेकिन जब से अनुच्छेद 370 हटाया गया है, घाटी में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है.

कश्मीर भारत का हिस्सा था, और हमेशा रहेगा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर हमेशा भारत का हिस्सा था,  है और हमेशा रहेगा. अतीत में इसे अलग करने की कोशिशें की गईं, लेकिन उन मुसीबतों को दूर कर दिया गया. उन्होंने बताया कि कश्मीर में मिले मंदिर और उनके विषय में लिखी गई पुस्तक में बताया गया है कि कश्मीर और भारत का न टूटने वाला बंधन है.

उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक में लद्दाख में तोड़े गए मंदिरों, कश्मीर में संस्कृत के उपयोग, और आज़ादी के बाद वहां की गई गलतियों और उनके सुधारों का जिक्र है.
 

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