Jammu: पुंछ में सेना के काफिले को अमेरिकी बन्दूक से बनाया निशाना, आतंकियों की तलाश में पहुंची NIA की टीम

Jammu: जम्मू के पुंछ में हुए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए, जबकि दो अन्य की हालत गंभीर है. कुछ स्थानीय लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. आतंकियों की तलाश में एनआईए की टीम भी पहुंची है.

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हाइलाइट्स

  • हमले में पांच जवान शहीद हो गए, दो अन्य की हालत गंभीर
  • स्थानीय लोगों को हिरासत में लेकर हो रही है पूछताछ

Jammu: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी 'पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट' नाम के आतंकी संगठन ने ली है. इसे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखौटा माना जाता है, जो पहली बार 2019 में सुर्खियों में आया था. इस हमले के लिए आतंकियों ने अमेरिका में बनी एम-4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया था, जिसमें स्टील की गोलियों का इस्तेमाल होता है और गाड़ी को आसानी से भेदा जा सकता है. 

आतंकियों की  तलाश जारी

रुनकोट थाना क्षेत्र में ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच गुरुवार दोपहर हुए हमले में 5 जवान शहीद हो गए और दो अन्य की हालत गंभीर है. शुक्रवार को आतंकियों की तलाश में इलाके की बड़े पैमाने पर घेराबंदी की गई. हवाई निगरानी के साथ-साथ डॉग स्क्वायड को भी तैनात किया गया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की टीम भी मौके पर है.

सेना की 16वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन ने भी इलाके का दौरा किया और शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की. सेना ने डेरा गली से कुछ स्थानीय लोगों को हिरासत में लिया है, उनसे पूछताछ की जा रही है. 

आतंकियों ने लुटे हथियार

माना जा रहा है कि तीन से चार हथियारबंद आतंकियों ने पहाड़ों से सेना की गाड़ियों को निशाना बनाया. हमले के बाद आतंकियों ने दो जवानों के शवों को क्षत-विक्षत कर दिया और कुछ के हथियार भी लूट लिए. राजौरी-पुंछ इलाकों में आतंकी घटनाएं बढ़ने पर रक्षा विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. पिछले दो सालों में पीर पंजाल के इस पहाड़ी इलाके में मुठभेड़ के दौरान सेना के 34 जवान शहीद हो चुके हैं.

रक्षा सूत्रों का कहना है कि राजौरी-पुंछ सेक्टर में करीब 30 पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं. ये आतंकी जंगलों में छिप जाते हैं और मौका मिलने पर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं. ये आतंकी जैश के मुखौटा संगठन पीएएफएफ या लश्कर के टीआरएफ से जुड़े हैं. उनके 75-100 स्थानीय समर्थक भी हैं, जो जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय हैं. ये आतंकी संगठन 'गुरिल्ला युद्ध' तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और छोटे-छोटे समूहों में छिपकर सुरक्षा बलों पर हमला करते हैं. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन हमलों के पीछे चीन और पाकिस्तान का गेम प्लान है. इन दोनों देशों की कोशिश आतंकी हमलों के कारण सेना का ध्यान जम्मू-कश्मीर की ओर आकर्षित करना और लद्दाख और अन्य जगहों पर तैनाती कम करना है.

आतंकियों के हमले से राजनेता चिंता में

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ में हाल ही में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और सरकार से लोगों के बीच सुरक्षा की भावना बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की. कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने कहा कि देश के सुरक्षा बलों पर हमला खुली चुनौती है. राजौरी-पुंछ में फिर से आतंकवाद पनप रहा है, लेकिन सरकार कह रही है कि इलाके में शांति है. बीजेपी ने कहा कि पाकिस्तान को इलाके में आतंकवाद को दोबारा पनपने की इजाजत नहीं दी जाएगी. शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस हमले की तुलना पुलवामा हमले से की है.