Article 370: 11 दिसंबर यानि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (देश की शीर्ष अदालत) अनुच्छेद 370 पर अपना निर्णय देने वाली है. जबकि फैसला देने से पूर्व जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं और लोगों के बीच उम्मीद के साथ उदासी दोनों देखने को मिल रही है. आपको बता दें कि, अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने के बाद ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. जिसके आधार पर एक जम्मू-कश्मीर तो दूसरा लद्दाख बना दिया गया.
दरअसल आने वाले 11 दिसंबर को एक संवैधानिक पीठ कई याचिकाओं पर अपना निर्णय देने वाली है. जिसमें पहली याचिका में साल 2019 के अगस्त में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने एवं जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की याचिका दर्ज की गई है. जबकि अनुच्छेद 370 की मदद से ही जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था.
आपको बता दें कि, वर्ष 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद तत्कालीन रियासतों के पास भारत या पाकिस्तान में से किसी एक का हिस्सा बनने का विकल्प था. वहीं अनुच्छेद 370 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को भारत का भाग बनना था, साथ ही भारत के संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को स्थान दिया गया था. जिसके आधार पर जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संविधान से अलग रखा गया था. इसको देखते हुए राज्य को अधिकार दिया गया कि, वह अपना खुद का संविधान तैयार करे.
वहीं अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था. जबकि रक्षा, विदेश मामले एवं संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होने के अतिरिक्त राज्य विधानसभा विभिन्न कानूनों का निर्माण कर सकता था. साथ ही सरकार को भी ऊपर बताए गए तीन विषयों को छोड़कर सारे पर कानून बनाने के उपरांत राज्य सरकार से मंजूरी मिलने की आवश्यकता होती थी. इतना ही नहीं बाकी के राज्य के लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के अधिकार भी नहीं थे.
केंद्र की सरकार के द्वारा 5 अगस्त वर्ष 2019 को अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जाकर इसके बारे में पूरे देश को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के अवाला जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया है. जिसके आधार पर एक जम्मू-कश्मीर तो दूसरा लद्दाख बनाया गया है. इतना ही नहीं अमित शाह ने संसद को संबोधित करते हुए बताया कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान लिंग, वर्ग, जाति और मूल स्थान के आधार पर भेदभावपूर्ण हैं. वहां के युवाओं को राजनीतिक अभिजात वर्ग के माध्यम से हानि पहुंचाई जा रही है. वहीं यह प्रावधान अस्थायी था, उन्होंने कहा कि इसे जम्मू-कश्मीर की जनता के भविष्य को देखते हुए हटाने की जरूरत है.
Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!