नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने वृत्तचित्र श्रृंखला ‘‘कल्ट ऑफ फियर: आसाराम बापू’’ की रिलीज के बाद आसाराम बापू के अनुयायियों द्वारा धमकियां देने के आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया के अधिकारियों को अंतरिम पुलिस सुरक्षा प्रदान की. इस मामले में अदालत ने केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र, कर्नाटका, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली सरकारों को नोटिस जारी किया. अदालत ने इन राज्यों को याचिकाकर्ता शशांक वालिया और अन्य के कार्यालयों और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने का आदेश दिया. अदालत ने यह भी कहा कि 3 मार्च 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह तक इन नोटिसों का जवाब दिया जाए. साथ ही, पुलिस अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि याचिकाकर्ताओं को कोई शारीरिक चोट न पहुंचे और वे अपने कार्यालयों का उपयोग कर सकें.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने कहा कि ‘‘डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया’’ के अधिकारियों को आसाराम के अनुयायियों से लगातार धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनके लिए देशभर में निर्बाध यात्रा करना कठिन हो गया है. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 30 जनवरी 2025 को डिस्कवरी के मुंबई कार्यालय के बाहर एक बड़ी भीड़ एकत्र हुई और वहां अनधिकृत रूप से प्रवेश करने का प्रयास किया. हालांकि पुलिस ने इस भीड़ को तितर-बितर कर दिया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि आसाराम के अनुयायियों ने याचिकाकर्ताओं और उनके सहयोगियों के साथ-साथ अन्य लोगों को धमकियां दी हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए) और (जी) तथा 21 के तहत प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया कि धमकियों के कारण डिस्कवरी को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें घर से काम करने के लिए कहने पर मजबूर होना पड़ा है.
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