बनासकांठा की आशाबेन चौधरी, ड्रोन की मदद से कर रही कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव

आशाबेन आशापुरी सखी मंडल संचालित करती हैं, साथ ही वे कई अन्य सखी मंडलों के माध्यम से आसपास की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं. वे दो बेटियों की मां हैं और उनके परिवार की ओर से भी उन्हें इस काम के लिए पर्याप्त सहयोग और प्रोत्साहन मिल रहा है. उन्होंने राज्य की अन्य महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि सफलता का अर्थ केवल सरकारी नौकरी करना ही नहीं है, सरकार अनेक योजनाएं चला रही है और कई नए क्षेत्रों के द्वार भी खुले हैं. मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि वे इन योजनाओं में सक्रिय रूप से भागीदार बनें.

Date Updated
फॉलो करें:

गुजरात में गांवों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है. सीएम श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया गया है. इसके परिणामस्वरूप आज गुजरात की ग्रामीण महिलाएं देश भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का अनोखा उदाहरण बन गई हैं. हम बात कर रहे हैं बनास की ड्रोन दीदी यानी आशाबेन चौधरी की, जो गांव में रहकर अपने सपनों को साकार कर रही हैं. 

बनास की ड्रोन दीदी की कहानी

पीएम नरेन्द्र मोदी ने ड्रोन के उपयोग से महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए साल 2023 में ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना लागू की थी. इस योजना का उद्देश्य कृषि में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ड्रोन के जरिए खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करना सिखाना है. ड्रोन दीदी योजना के तहत 10 से 15 गांवों की स्वयं समूहों की महिलाओं को एक साथ प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें ड्रोन चलाने का 15 दिवसीय प्रशिक्षण भी शामिल है. गुजरात में ऐसी ही एक ड्रोन दीदी हैं.

जिनका नाम है आशाबेन चौधरी, जो बनासकांठा की डीसा तहसील के तालेपुरा गांव की निवासी हैं. उनकी उम्र 31 वर्ष है, आशाबेन चौधरी पशुपालन और खेतीबाड़ी से जुड़े परिवार से आती हैं. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की है, और अभी ड्रोन दीदी कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर आसपास के क्षेत्रों में ड्रोन की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर आमदनी हासिल कर रही हैं.

आशाबेन चौधरी ने ड्रोन उड़ान क्षेत्र पर रखी अपनी बात 

ड्रोन उड़ान क्षेत्र में करियर बनाने के बारे में आशाबेन का कहना है कि मुझे ड्रोन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मगर मैं सखी मंडल द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी कार्यक्रमों में शामिल होती थी. इसलिए मुझे ड्रोन दीदी कार्यक्रम के संबंध में जानकारी हासिल हुई. इस कार्यक्रम के तहत मैंने सकाल 2023 में पुणे में 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया. उससे पूर्व इफको में हमारा इंटरव्यू लिया गया था और फिर मैंने पुणे में परीक्षा दी थी. परीक्षा में हमसे ड्रोन उड्डयन और नागर विमानन महानिदेशालय के नियमों के विषय में प्रश्न पूछे गए. वहां से प्रशिक्षण लेने के बाद मैंने बनासकांठा में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू किया, और आज मेरे पास काम की कोई कमी नहीं है.

ड्रोन के लिए ई-व्हीकल और बिजली की गई बिजली सेट 

बता दें कि आशाबेन ने बताया कि अरंडी, मूंगफली, पपीता, बाजरी और सौंफ सहित कई अन्य फसलों में ड्रोन की मदद से दवाइयों का छिड़काव कर चुकी हैं. उन्होंने बताया कि केवल छह महीने में उन्होंने इस काम से एक लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित की है. ड्रोन की मदद से कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव के फायदों के बारे में आशाबेन ने कहा कि ड्रोन से छिड़काव व्यवस्थित तरीके से होता है. साथ ही इससे समय और पैसों दोनों की बचत होती है. इसमें दवाई और पानी दोनों की मात्रा कम रहती है.

मगर छिड़काव उचित तरीके से होता है. एक ड्रोन सात मिनट के भीतर एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव कर सकता है. सौंफ जैसी ऊंची फसलों में ड्रोन से छिड़काव काफी सुलभ विकल्प है. हम ड्रोन से छिड़काव कराने वाले किसानों का आई खेड़ूत पोर्टल पर पंजीकरण कराते हैं. जिससे उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रतिपूर्ति भी मिल सके.

अहमदाबाद और सुरेन्द्रनगर से भी मिलने लगे हैं ऑर्डर

आशाबेन का कहना है कि ड्रोन को संचालित करने में बहुत अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है. पहले वे ड्रोन में खेत का नक्शा फीड करती हैं, साथ ही कम्पास का कैलिब्रेशन कर ड्रोन को निर्धारित क्षेत्र में संचालित करती हैं. इस काम से आसपास के किसानों के बीच उनकी प्रसिद्धि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और इसका बहुत ही अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे तो अब सुरेन्द्रनगर और अहमदाबाद से भी लगातार फोन आ रहे हैं. मुझे इस काम को करने में काफी खुशी मिल रही है.

इतना ही नहीं, अब तो आसपास के लोग लड़कियों को मेरा उदाहरण भी देने लगे हैं. बता दें कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान देश में प्रारंभिक आधार पर लगभग 500 से 1000 स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करने का निर्णय किया गया है. जिनमें से गुजरात राज्य में इफको, जीएसएफसी और जीएनएफसी द्वारा लगभग 18, 20 और 20 सहित कुल 58 महिलाओं को ड्रोन प्रशिक्षण प्रदान कर ड्रोन उपलब्ध कराए गए हैं.

Subscribe to Our YouTube Channel!

Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!