Asian Paints Success Story: कहते हैं संगत अच्छी हो तो दुनिया के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है और संगत खराब हो तो अच्छे इंसान को बुरा बना सकती है. ऐसे ही कुछ कहानी गुजरात के चार दोस्तों की कहानी है जिसने अपनी दोस्ती से मिसाल कायम किया. हम बात कर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एशियन पेंट की जिसकी शुरुआत गुजरात के चार दोस्तों ने मिलकर की थी. आज हम इन चारों दोस्तों की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन चारों दोस्तों (चंपकलाल चोकसी, चिमनलाल चोकसी, सूर्यकांत दानी और अरविंद वकील) में से एक सूर्यकांत दानी के बेटे अश्विन दानी का बीते दिन निधन हो गया. वे एशियन पेंट्स कंपनी के को- फाउंडर और गैर-कार्यकारी निदेशक थे. इस कंपनी को ग्रोथ करने में अश्विन ने अपना अहम योगदान दिया है.
भारत की आजादी से पहले शुरू हुआ था एशियन पेंट का कारोबार
एशियन पेंट की शुरुआत तब हुई थी जब भारत देश आजाद भी नहीं हुआ था. दरअसल जब हमारा देश अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया था. उस दौरान अंग्रेजों ने आयात पर रोक लगाया हुआ था. उस दौरान पेंट के बहुत कम विकल्प थे. स्वदेशी को आगे बढ़ाने और देश में पेंट बिजनेस को एक नया आकार देने के लिए इन्ही 4 गुजराती दोस्तों ने एक विचार किया. इन चारों दोस्तों ने साल 1942 में मुंबई के एक छोटे से गैराज में बैठकर एशियन पेंट्स एंड ऑयल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की नींव रखी थी.
ऐसे शुरू हुआ एशियन पेंट का कारोबार-
एशियन पेंट की नींव रखने के बाद इसकी मार्केटिंग और प्रमोशन भी जरूरी थी. इसके लिए इन चारों दोस्तों ने अपने बनाएं पेंट्स को प्लास्टिक पाउच में पैक किया. इन पाउच को इन चारों दोस्तों ने घर-घर जाकर बेचना शुरू किया. वहीं जब लोगों तक यह पेंट पहुंचा तो इसकी डिमांड भी बढ़ने लगी जिसके बाद बिजनेस आगे बढ़ता गया. शुरुआत में ये कंपनी सिर्फ कुछ कलर्स का ही उत्पादन करती थी जो कि सफेद, काला, हरा, पीला था. हालांकि कुछ ही समय बाद ही ये कंपनी मार्केट में लीडर की तरह उभर गया, साल 1952 में एशियन पेंट कंपनी का कुल कारोबार 20 करोड़ रुपये से अधिक हुआ था.
16 देशों में हैं एशियन पेंट का प्लाट्ंस
आपको बता दें कि, एशियन पेंट कंपनी भारत की सबसे बड़ी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी पेंट कंपनी में से एक है. बीते दिन बीएसई पर कंपनी का मार्केट कैप 3,04,027.33 करोड़ रुपये था. वहीं शेयर 3169.60 रुपये पर बंद हुआ था. इस समय इस कंपनी के दुनियाभर के 16 देशों में प्लाट्ंस हैं.