Assembly Election Results: पांच विधानसभा चुनावों से राजस्थान में सत्ता बदलने की परंपरा चलती आ रही है. वहीं ये कहना मुश्किल होगा कि, इस बार कांग्रेस की गहलोत सरकार की विदाई होगी या जीत. वहीं दूसरी तरफ एमपी (मध्य प्रदेश) में लाडली बहनों का आशीर्वाद शिवराज सरकार को मिलेगा या कांग्रेस को मिलेगा. तीसरी तरफ छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल पर जनता की उम्मीद कायम रहेगा या पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी योजना काम करेगी, आज सारे चीजों से पर्दा उठने वाला है.
लोकसभा चुनाव के इस लास्ट दौर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना के नतीजों के साथ ही साथ सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. जबकि 40 सीटों वाले मिजोरम का निर्णय सोमवार को होने वाला है, मतगणना से पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा एवं पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने विक्ट्री साइन पेश करके जीत का दावा किया है.
दरअसल एग्जिट पोल में आए अनुमानों के उपरांत बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही खेमों में तैयारियां जोड़ो से की जा चुकी है. दरअसल दोनों दलों की निगाहें उन सीटों पर भी हैं, जहां बागी, निर्दलीय और विभिन्न दलों के प्रत्याशी के जीतने की उम्मीद है. बता दें मध्य प्रदेश, राजस्थान से लेकर छत्तीसगढ़ में कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के अतिरिक्त तीसरे प्रत्याशी ने भी बराबरी किया है. अगर दोनों दलों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो इन प्रत्याशियों की भूमिका सरकार बनाने में बेहतर कार्य करेगी.
मध्य प्रदेश में बीजेपी 2003 से ही सत्ता में है, जबकि साल 2018 में कांग्रेस सरकार बनाने के बावजूद सत्ता नहीं बना पाई. जबकि बीजेपी फिर सत्ता में आई एवं शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री चुने गए. इसको देखते हुए इस बार यहां कांटे का मुकाबला होता दिखाई दे रहा है, जबकि राजस्थान में 1998 से कांग्रेस एवं बीजेपी बारी- बारी से सत्ता बजल-बदल कर आ रही है. हालांकि इस बार कांग्रेस पुरानी पेंशन के साथ अपनी गारंटी के दम पर सत्ता परिवर्तन का रिवाज बदलने का दावा ठोक रही है. वहीं दूसरे तरफ बीजेपी अपनी जीत का परचम लहराने की बात कह रही है.