UNESCO मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में भगवद गीता, नाट्यशास्त्र यूनेस्को को किया गया शामिल; PM मोदी ने जताई खुशी

भगवद गीता में 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं. अपनी दार्शनिक व्यापकता और गहराई के कारण भगवद गीता को सदियों से दुनिया भर में पढ़ा जाता रहा है और कई भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया है. वहीं भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को नाट्यवेद का सार माना जाता है.

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Courtesy: Social Media

UNESCO Memory of the World: भारतीयों के लिए आज बेहद ही खास दिन है. आज UNESCO  मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में भारत के दो ग्रंथों को शामिल किया गया है. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को बधाई दी है. 

इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथों, पांडुलिपियों और दस्तावेजों को मान्यता दी गई है.

दोनों ग्रंथों का दुनिया भर में खास महत्व

इन ग्रंथों ने पीढ़ियों से समाज को प्रभावित किया है. भगवद्गीता में भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच एक पवित्र संवाद होता है. इस संवाद को लंबे समय से आध्यात्मिक और दार्शनिक आधारशिला माना जाता है. वहीं ऋषि भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को प्रदर्शन कलाओं, विशेष रूप से रंगमंच, नृत्य और संगीत पर आधारभूत ग्रंथ माना जाता है. इन दोनों ग्रंथों का भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में खास महत्व है. 

दुनिया भर में पढ़ा जाता है गीता

भगवद गीता में 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं. अपनी दार्शनिक व्यापकता और गहराई के कारण भगवद गीता को सदियों से दुनिया भर में पढ़ा जाता रहा है और कई भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया है. वहीं भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को नाट्यवेद का सार माना जाता है. इसमें 36,000 छंद है, जिसमें कलाओं की एक मौखिक परंपरा, जिसे गंधर्ववेद के नाम से भी जाना जाता है. यह प्राचीन ग्रंथ विभिन्न कला रूपों के लिए एक विस्तृत रूपरेखा तैयार करता है. जिसमें नाट्य (नाटक), अभिनय (प्रदर्शन), रस (सौंदर्य सार), भाव (भावना), और संगीत (संगीत) शामिल हैं. यह भारतीय रंगमंच, काव्यशास्त्र, सौंदर्यशास्त्र, नृत्य और संगीत के लिए एक आधारभूत मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करता है. 

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