Maratha Reservation: मराठा आरक्षण को लेकर आज ( 20 फरवरी) महाराष्ट्र में बड़ा फैसला लिया गया है. एक नाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना सरकार ने मराठी समाज के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. अब इस समाज के लोगों को शिंदे सरकार नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देगी. इस आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में काफी लंबे समय से आंदोलन चल रहा था. बता दें कि राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में विशेष सत्र से पहले हुई कैबिनेट बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दी गई. इसके कुछ देर बाद ही सीएम शिंदे ने विधानमंडल सत्र में मराठा आरक्षण पर बात की पिछड़ा वर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मराठा समाज पिछड़ा हुआ है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ऐसी आसाधरण परिस्थितियां हैं जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की आवश्यकता होती हैं.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड एक में स्पष्ट लिखा है कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों, चाहे राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त हो या नहीं, में प्रवेश के लिए कुल सीटों का 10 प्रतिशत और कुल संख्या का 10 प्रतिशत राज्य के नियंत्रण के तहत सार्वजनिक सेवाओं और पदों में सीधी सेवा भर्तियों में ये आरक्षण सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए अलग से आरक्षित किया जाएगा. इस अधिनियम के तहत आरक्षण केवल सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए होगा.
इस दौरान विशेष सत्र से पहले मराठा आरक्षण पर शिवसेना (UBT)सांसद संजय राउत का बड़ा बयान सामने आया था. उन्होंने कहा, "हम सब चाहते हैं कि एकमत से यह निर्णय हो जाए और आरक्षण पर जो फैसला रुका है वह स्पष्ट हो जाए.