बजट में कोई दिशा नहीं; दिल्ली चुनावों ने पूरा किया उद्देश्य: चिदंबरम

नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आम बजट को राजनीति से प्रेरित और बिना किसी स्पष्ट उद्देश्य के करार दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बजट में कोई ठोस दर्शन नहीं था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों से पूरा हुआ है. 

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Courtesy: social media

नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आम बजट को राजनीति से प्रेरित और बिना किसी स्पष्ट उद्देश्य के करार दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बजट में कोई ठोस दर्शन नहीं था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों से पूरा हुआ है. 

आयकर में कटौती से फायदा केवल मध्यम वर्ग तक सीमित नहीं

राज्यसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि बजट के तहत आयकर में कटौती का लाभ सिर्फ मध्यम वर्ग तक ही सीमित नहीं है. इसके साथ ही, 'बहुत अमीर' और 'सबसे अमीर' लोग भी इससे लाभान्वित होंगे. वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को पेश बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए आयकर में छूट सहित कई उपायों की घोषणा की थी. इन उपायों के तहत, आयकरदाताओं को 12.75 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई आयकर नहीं देना होगा, जिससे एक करोड़ लोग कर के दायरे से बाहर हो जाएंगे.

बजट में राजनीति की छाया

चिदंबरम ने कहा, "बजट में कोई दर्शन नहीं है, यह स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित था। मैं इसे विस्तार से नहीं कह सकता, लेकिन वित्त मंत्री को दिल्ली चुनाव के उद्देश्य को पूरा करने के लिए बधाई देता हूं." उनका इशारा दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों की ओर था, जिसमें आम आदमी पार्टी की हार और भाजपा की जीत हुई.  

करदाताओं की संख्या पर सवाल

चिदंबरम ने कहा कि इस बजट का मुख्य फोकस आयकर में कटौती था, लेकिन केवल 3.2 करोड़ लोग आयकर का भुगतान करते हैं, जबकि अन्य रिटर्न तो दाखिल करते हैं, पर वे शून्य कर का भुगतान करते हैं. 

चिदंबरम ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री ने पूंजीगत खर्च और राज्यों को अनुदान सहायता में कटौती कर राजकोषीय घाटे को कम करने का दावा किया, लेकिन यह गलत अर्थशास्त्र है. उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा मजदूरी और न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की जा सकती थी, जिससे लाखों मजदूरों को लाभ मिलता. 

महंगाई का दबाव और घटती बचत

पूर्व वित्त मंत्री ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति 6.18 प्रतिशत, शिक्षा मुद्रास्फीति 11 प्रतिशत और स्वास्थ्य मुद्रास्फीति 14 प्रतिशत रही है, जिससे भारतीय परिवारों पर भारी दबाव पड़ा है. उन्होंने कहा, "घरेलू बचत 25.2 प्रतिशत से घटकर 18.4 प्रतिशत हो गई है." 

बेरोजगारी की समस्या और सरकार की योजनाओं की विफलता

चिदंबरम ने बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया और सरकार की उत्पादन प्रोत्साहन योजना (PLI) और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को विफल करार दिया. चिदंबरम ने वित्त मंत्री पर आरोप लगाया कि राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत तक सुधारने के लिए उन्होंने पूंजीगत व्यय में भारी कटौती की. "राजकोषीय घाटे को सुधारने के लिए सरकार ने 1.83 लाख करोड़ रुपये की कटौती की, लेकिन क्या यह अच्छी नीति है?" उन्होंने सवाल किया.

विदेश मंत्रालय के बजट में कमी पर चिदंबरम की चिंता

चिदंबरम ने विदेश मंत्रालय के बजट में कमी पर भी सवाल उठाए और पूछा, "क्या हम अपनी वैश्विक उपस्थिति कम कर रहे हैं या दूतावासों को बंद कर रहे हैं?". 

चिदंबरम ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों के निर्वासन के मुद्दे को भी उठाया और सवाल किया कि क्या भारत सरकार उन भारतीयों को वापस लाने के लिए विमान भेजेगी.  

  











  

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