Chandrayaan-3 mission: चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर को इसरो की टीम फिर से जगाने की कोशिश करेंगे. हालांकि इस मिशन ने चांद के साउथ पोल पर पहुंचकर भारत को ऐतिहासिक सफलता दिलाई है. इस मिशन की सफलता से भारत की शान में चार चांद लग गए. हालांकि दो हफ्ते के सूर्यास्त के बाद आज शिव शक्ति पॉइंट पर फिर से सूर्योदय होने वाला है.
आमतौर पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान सामान्य से कई गुणा कम हो जाता है. ऐसे में पूरा इलाका बर्फ की चादर में ढक जाता है. माइनस 230 से माइनस 240 डिग्री सेल्सियस तापमान में किसी भी मशीन का टिक पाना नामुमकिन है लेकिन, अगर इसी नामुमकिन को भेद प्रज्ञान और विक्रम दोबारा अपने काम पर लौटते हैं तो यह भारत के लिए दोहरी सफलता होगी.
इसी सफलता को पाने के लिए इसरो की टीम आज लैंडर-रोवर के साथ संपर्क करने की कोशिश करेंगे. स्पेस एजेंसी ने बताया कि, चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को 4 सितंबर को सुबह 8 बजे सुलाया गया था. जबकि प्रज्ञान रोवर को 2 सितंबर को रेस्ट मोड में डाला था. एजेंसी ने बताया था कि, इसकी बैटरी पूरी तरह चार्ज है और इसके रिसीवर को ऑन ही रखा गया है, और इसके सोलर पैनल में क्षमता है कि सूरज की रौशनी पड़ने पर एक्टिव हो सकते हैं, हालांकि यह ये सिर्फ उम्मीद लगाई जा रही है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि अगर इसरो की टीम का संपर्क लैंडर और रोवर से नहीं हो पाता है तो क्या यह मिशन समाप्त हो जाएगा.
आपको बता दें कि, चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों के लिए तैयार किए गए थे जो धरती के मुकाबले चांद के एक दिन के बराबर है. जब यह मिशन सफल हुई थी तो इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया था कि, 14 दिन के बाद फिर से रोवर-लैंडर एक्टिव हो सकते हैं. हालांकि इसरो ने पहले ही साफ किया था कि, इस मिशन को 14 दिनों का प्लान है. ऐसे में अगर इसरो टीम लैंडर और रोवर से संपर्क साधने में नाकामयाब होते हैं तो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर हमेशा की तरह शिव शक्ति पॉइंट पर रह जाएंगे और भारत की शान ऊंचा करते रहेंगे.
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