Chandrayaan-3: इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 का दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन को पूरा कर लिया गया है. अब लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर से 134 किलोमीटर ही बची हुई है. वहीं इस ऑपरेशन में डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को काफी कम करना पड़ता है. इसरो ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि लैंडर की इंटरनल जांच की जाएगी. वहीं जब तक लैंडिंग साइट पर सूरज नहीं निकल जाता है. उस वक्त तक इंतजार करना होगा. उसके बाद 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर सबसे कम दूरी से सॉफ्ट लैंड कराने का प्रयास किया जाएगा.
चंद्रयान-1 एंव चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. अन्नादुरई के अनुसार 23 अगस्त को शाम होते- होते चंद्रयान-3 के लैंडर को चांद की सतह तक पहुंचने में 15- 20 मिनट लग सकते हैं. दरअसल ये वक्त सबसे कठिन होने वाला है. फिर इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप की सहायता से 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर की तरफ आएगा, जैसे ही इसरो इसकी कमांड देगा ये चांद की सतह पर चलने लगेगा. इस दरमियान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ एंव इसरो के लोगो की छाप छोड़ेगा.
इसरो ने मिशन की खबर देते हुए ट्वीटर पर लिखा है कि ‘मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है’ इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 बिना किसी रूकावट के चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो चुका है. वहीं 23 अगस्त को लैंडिंग होने से पूर्व चंद्रयान को 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी पड़ेगी.