chhath puja: माता सीता ने भी की थी छठ पूजा, जानें सूर्यदेव की उपासना के फायदे

chhath puja: हम सभी जानते हैं कि छठ पूजा पूरे धूम- धाम से बिहार राज्य में मानाया जाता है, ये बहुत ही पवित्र और कठिन व्रत है. जिसमें व्रती 4 दिन की उपवास में रहकर सूर्य की अराधना करती है. कहा जाता है कि, छठ व्रत के करने से धन,वैभव, सुख- समृद्धि, निसंतान को संतान […]

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chhath puja: हम सभी जानते हैं कि छठ पूजा पूरे धूम- धाम से बिहार राज्य में मानाया जाता है, ये बहुत ही पवित्र और कठिन व्रत है. जिसमें व्रती 4 दिन की उपवास में रहकर सूर्य की अराधना करती है. कहा जाता है कि, छठ व्रत के करने से धन,वैभव, सुख- समृद्धि, निसंतान को संतान प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि पुराने युगों से ही छठ व्रत किया जाता है. छठ की शुरूआत नहाय खाय से शुरू होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इसकी समाप्ति की जाती है. किन्तु बहुत कम लोग जानते होंगे की छठ का पावन व्रत मां सीता, द्रोपदी ने भी किया था.

मां सीता ने किया छठ

छठ पूजा की शुरूआत कैसे हुई इसकी बहुत कहानी किस्से हैं, परन्तु एक मान्यता के मुताबिक राम-सीता 14 साल के वनवास के उपरांत अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश अनुसार राजसूर्य यज्ञ किया गया. जिसमें मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया गया, ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने की आज्ञा दी. जिसके बाद मां ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की उपासना की. वहीं सप्तमी को मां ने सूर्योदय के वक्त अनुष्ठान कर सूर्यदेव का आशीर्वाद ग्रहण की.

महाभारत के वक्त हुआ था छठ

हिंदू मान्यता के अनुसार कथा बताई जाती है कि, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हो गई थी. इस पर्व को सबसे पूर्व सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इसकी शुरूआत की थी. बताया जाता है कि, कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य दिया करते थे. सूर्य की असीम कृपा से वह महान योद्धा बन पाएं, आज भी छठ में अर्घ्य ही दिया जाता है.

द्रोपदी ने रखा था छठ व्रत

द्रोपदी के बारे में बताया जाता है कि, छठ पर्व किवदंती के अनुसार जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रोपदी ने छठ व्रत करके सूर्य की उपासना की थी. जिसके करने से मन की इच्छा की पूर्ति हूई थी. पांडवों को सब कुछ वापस प्राप्त हो गया था. छठ लोक परंपरा का महान पर्व है, कहा गया है कि छठी मईया का संबंध सूर्यदेव से भाई-बहन का है.