Manipur: मणिपुर में 2023 से जातीय संघर्ष जारी है. 2024 के खत्म होते-होते राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इसके लिए माफी मांगी है. जिसके बाद सभी समुदाय से मिली मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. एक ओर, मैतेई समूहों ने इसे 'शांति की दिशा में सकारात्मक कदम' बताया, वहीं कुकी संगठनों ने इसे अधूरी माफी करार देते हुए पूरी जिम्मेदारी लेने की मांग की है.
इंफाल में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि मैं राज्य में हुई हिंसा के लिए माफी मांगता हूं. कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया और कई को अपने घर छोड़ने पड़े. इसके लिए मुझे खेद है. मणिपुर में शांति स्थापना के लिए मुख्यमंत्री की माफी को अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है. जहां कुछ इसे सुधारात्मक कदम मानते हैं, वहीं अन्य इसे अधूरा और असंतोषजनक मान रहे हैं. अब यह देखना अहम होगा कि सरकार शांति बहाली के लिए क्या ठोस कदम उठाती है.
3 मई 2023 से मणिपुर जातीय संघर्षों की चपेट में है. मैतेई समुदाय जो इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक है और कुकी जनजाति जो पहाड़ी इलाकों में रहती है. दोनों के बीच यह संघर्ष अब तक 260 से अधिक जानें ले चुका है और करीब 50,000 लोग बेघर हो गए हैं. मैतेई नागरिक समाज संगठन COCOMI के प्रवक्ता खुरैजम अथौबा ने इसे 'शांति के लिए एक महत्वपूर्ण पहल' करार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के मुखिया हैं और जो कुछ हुआ उसके लिए जिम्मेदार हैं. उनकी माफी राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.' ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (AMUCO) के प्रमुख पी.एच. नांडो लुवांग ने भी माफी को 'शांति की पहल' बताया, लेकिन कहा कि सरकार को कानून का सख्ती से पालन कराना चाहिए.
कुकी संगठनों ने मुख्यमंत्री से पद छोड़ने की मांग की. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के प्रवक्ता गिंजा वुअलज़ोंग ने कहा, 'बीरेन सिंह को पूरी जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए. अगर वह शांति चाहते हैं, तो उन्हें कुकी-जो समुदाय के खिलाफ भेदभाव बंद करना होगा.' आदिवासी एकता समिति (COTU) के प्रवक्ता एनजी लुन किपगेन ने माफी को 'राजनीतिक चाल' बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने हिंसा में अपनी भूमिका की जिम्मेदारी नहीं ली. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री की माफी को देर से लिया गया कदम बताते हुए इसे नाकाफी बताया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा न करने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मणिपुर जाकर यही बात क्यों नहीं कह सकते? मणिपुर के लोग इस उपेक्षा को समझ नहीं पा रहे हैं.'