कोलकाता में 3 दिन पूर्व 9 वर्षीय मासूम बच्ची से कथित तौर पर बलात्कार व हत्या हत्या के बाद से बंगाल सुलग रहा है. मामले में रविवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने ककहा कि अदालतों के पास किसी भी मामले में तुरंत इंसाफ दने के लिए कोई जादू की छड़ी मौजूद नहीं है. जस्टिस तीर्थंकर घोष की तरफ से रविवार को मामले की गंभीरता को देखते हुए इमरजेंसी हियरिंग की गई थी, इसमें जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे बड़ी परेशानी उस समय आती है जब लोगों की मांग होती है, कि कोर्ट उन लोगों को सजा दें जिन्हें वे आरोपी मानते हैं.
दरअसल मृतक के परिजनों ने कोर्ट में यह मांग की थी कि केंद्रीय अस्पताल मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में बच्ची के शव के पोस्टमार्टम का आदेश दे, जज ने कहा कि किसी भई पीड़ित को न्याय देना एक चरणबद्ध प्रक्रिया के अतर्गत आता है. जज ने यह भी कहा कि अदालतें अपने सामने उपलब्ध साक्ष्य के मुताबिक ही कार्य करती है. उनका याचिकाकर्ता व प्रतिवादियों से किसी तरह का कोई व्यक्तिगत रिश्ता नहीं होता है.
दरअसल शनिवार को दक्षिण में 24 परगना के जयनगर में महिसमारी के ग्रामीणों व पुलिस के बीच आपस में झड़प हो गई थी. इसमें लड़की का शव उसके घर के पास ही एक नाले से बरामद होने के बाद हंगामा और भी ज्यादा तेज हो गया. मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कक्षा 4 की छात्रा की हत्या के आरोप में गांव के 19 वर्षीय मुस्तकिन सरदार को गिरफ्तार करा. बता दें कि लड़की शुक्रवार को ट्यूशन पढ़ने के लिए अपने घर से निकली थी, लेकिन वह घर वापस लौटकर नहीं आई, परिजन अपनी लापता बेटी की तलाश करते रहे.
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस घोष ने पुलिस को भी फटकार लगाई. जज ने पुलिस की जांच के मामले में लगाई धाराओं का जिक्र करते हुए एक सवाल पूछा. जज ने कहा कि, क्या पुलिस शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने से पहले इस मामले में पोक्सो एक्ट की धाराएं नहीं जोड़ सकती?. इसके साथ ही जज ने यह भी कहा कि,- जांच का निष्कर्ष मामले के लिए पर्याप्त नही हैं. जज ने पुलिस को आदेश देते हुए कहा कि- मामले में पोक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ें. साथ ही आरोपियों को नियमित अदालतों के बजाय पोक्सो कोर्ट में पेश करें. पुलिस ने पोस्टमॉर्टम में कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए जांच में पल्ला झाड़ते हुए तत्काल सुनवाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना जरूरी समझा.
क्योंकि मामले में मृतक बच्ची के परिजनों की मांग को स्वीकृति देते हुए पुलिस ने निचली कोर्ट का रुख करा. पीडित परिजनों ने बच्ची के पोस्टमॉर्टम के दौरान मजिस्ट्रेट की मौजूदगी की भी मांग की, लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. परिजनों ने यह भी मांग की थी कि पोस्टमॉर्टम केंद्र की सभी सुविधाओं के बीच हो. राज्य ने हाईकोर्ट को बताया इसके लिए उसे कोई समस्या नहीं है.
हाईकोर्ट में यह भी बताया गया कि उन्होंने एम्स कल्याणी में कल्याणी में पोस्टमार्टम का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस को मृतक बच्ची का शव सोमवार सुबह 11.45 बजे तक परिजनों के सुपुर्द करने का आदेश भी दिया. जज ने कहा अगर एम्स के पास बुनियादी ढांचा उपलब्ध है, तो वह अपने परिसर में ही शव का पोस्टमार्टम करे. नहीं तो सरकारी जेएनएम अस्पताल कल्याणी में ही पोस्टमार्टम किया जाए. अगर दूसरे अस्पताल में पोस्टमार्टम किया जाता है तो इसमें केवल एम्स के डॉक्टर ही मौजदू रहे. हाईकोर्ट ने बरुईपुर, दक्षिण 24 परगना के एसीजेएम को भी इस दौरान मौजूद रहेने का निर्देश दिया.