Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने ट्वीट कर मीरी पीरी दिवस के अवसर पर मैं छठे पातशाह साहिब श्री गुरु हरगोबिंद जी के चरणों में नमन किया है. उन्होंने लिखा कि भक्ति और शक्ति का संगम मीरी पीरी दिवस…”दो तलवारें बंधी हुई हैं, एक मिरी की और एक पीरी की एक वजीर को एक अज़मत, एक राज्य की रक्षा करनी चाहिए. सर्वोच्च तीर्थ तख्त श्री अकाल तख्त साहिब के सामने झूलते मीरी पीरी के प्रतीक हमेशा सिख समुदाय का नेतृत्व करते रहेंगे… आज मीरी पीरी दिवस के अवसर पर मैं छठे पातशाह साहिब श्री गुरु हरगोबिंद जी के चरणों में नमन करता हूं.
ਭਗਤੀ ਤੇ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਸੁਮੇਲ ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦਿਵਸ…
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) June 28, 2023
“ਦੋ ਤਲਵਾਰਾਂ ਬੱਧੀਆਂ, ਇੱਕ ਮੀਰੀ ਦੀ ਇੱਕ ਪੀਰੀ ਦੀ
ਇੱਕ ਅਜ਼ਮਤ ਦੀ, ਇੱਕ ਰਾਜ ਦੀ ਇੱਕ ਰਾਖੀ ਕਰੇ ਵਜੀਰੀ ਦੀ
ਸਰਬ-ਉੱਚ ਅਸਥਾਨ ਤਖ਼ਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਅੱਗੇ ਝੂਲਦੇ ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦੇ ਨਿਸ਼ਾਨ ਸਾਹਿਬ ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਦੀ ਹਮੇਸ਼ਾ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣਗੇ…ਅੱਜ ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਛੇਵੇਂ… pic.twitter.com/ApthshfDXV
क्या है मिरी-पीरी ?
मिरी-पीरी एक अवधारणा है, जो सत्रहवीं शताब्दी से सिख धर्म में प्रचलित है. “मीर और पीर” की अवधारणा सिख धर्म के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद ने 12 जून, 1606 को शुरू की थी. अपने पिता की शहादत के बाद, गुरु हरगोबिंद गुरु पद पर आसीन हुए और इसे पूरा किया. भविष्यवाणी जो सिख बाबा बुद्ध के आदिपुरुष द्वारा दी गई थी कि गुरु के पास आध्यात्मिक और लौकिक शक्ति होगी. गुरु हरगोबिंद ने सांसारिक और आध्यात्मिक अधिकार दोनों का प्रतीक मीरी और पीरी की दो तलवारें पेश कीं. दोमिरी और पीरी की कृपाण को केंद्र में एक खंडा के साथ एक साथ बांधा जाता है, इसलिए दोनों का संयोजन सर्वोच्च माना जाता है, जहां आध्यात्मिक हृदय से सूचित या उत्पन्न होने वाली क्रिया.