कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गणतंत्र दिवस पर केंद्र सरकार पर हमला, जानें क्या कहा

गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को शुभकामनाएं दिए जाने के तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. खड़गे ने केंद्र की राजनीति को 'धार्मिक कट्टरवाद में डूबे हुए घृणित एजेंडे' के रूप में चित्रित किया और कहा कि यह एजेंडा संविधान के पवित्र सिद्धांतों को तार-तार कर रहा है.

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Courtesy: Social Media

Mallikarjun Kharge on Republic Day: गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को शुभकामनाएं दिए जाने के तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. खड़गे ने केंद्र की राजनीति को 'धार्मिक कट्टरवाद में डूबे हुए घृणित एजेंडे' के रूप में चित्रित किया और कहा कि यह एजेंडा संविधान के पवित्र सिद्धांतों को तार-तार कर रहा है.

खड़गे ने अपने संदेश में भारतीय गणराज्य के संविधान को अपनाए जाने के 75 साल पूरे होने का उल्लेख करते हुए इसे भारत की आत्मा और अंतरात्मा करार दिया. उन्होंने महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं और संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की. खड़गे ने संविधान की रक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह समय है जब हम संविधान के मूल्यों को संरक्षित करने के लिए संकल्पित हों.

संघवाद पर हमला

अपने गणतंत्र दिवस संबोधन में खड़गे ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने संस्थानों को कमजोर किया है और स्वायत्त निकायों में हस्तक्षेप किया है. उन्होंने कहा, 'सत्तारूढ़ सरकार ने दशकों से सावधानीपूर्वक बनाए गए हमारे संस्थानों का लगातार क्षरण किया है. स्वायत्त संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप एक आदर्श बन गया है.' खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि संघवाद को कमजोर किया जा रहा है और विपक्ष शासित राज्यों के अधिकारों में लगातार कटौती की जा रही है.

मणिपुर पर सवाल

खड़गे ने आरोप लगाया कि पिछले दशक में 'धार्मिक कट्टरवाद में डूबे' एक 'शातिर एजेंडे' ने समाज को विभाजित करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, 'अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और जो धर्मनिरपेक्ष हैं, उन्हें गोएबल्स के प्रचार के रंग में रंगा जा रहा है.' इसके साथ ही उन्होंने कमजोर वर्गों, जैसे एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की शिकायत की. खड़गे ने मणिपुर में जारी हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की, जो पिछले 21 महीनों से जारी है. उन्होंने कहा कि सत्ता के शीर्ष स्तर पर कोई जिम्मेदारी नहीं ली जा रही है, और मणिपुर की स्थिति को नजरअंदाज किया जा रहा है.

संविधान की रक्षा का आह्वान

अपने संबोधन के अंत में खड़गे ने संविधान के चार मूल मूल्यों न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'संविधान के हर पवित्र सिद्धांत को तानाशाही शासन द्वारा टुकड़े-टुकड़े किया जा रहा है. हमें अपने संविधान के विचारों और आदर्शों को संरक्षित और सुरक्षित रखना होगा.' 

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