Constitution Copy Controversy: संसद में पांच दिवसीय विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है. इस सत्र के बीच विपक्षी पार्टी ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. दरअसल,कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि, नई संसद के उद्घाटन के दौरान सांसदों को जो संविधान की कॉपी बांटी गई है उसमें छपी प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द हटा दिए गए हैं. वहीं इस आरोप को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि, संविधान की कॉपी में मूल संविधान की प्रस्तावना शामिल की गई है जिसमें सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं थे. आपको बता दें कि संविधान की प्रस्तावना में यो दोनों शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे.
कांग्रेस ने कहा-बीजेपी की मंशा पर संदेह-
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा- हम जानते हैं ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़ गए थे हालांकि, अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं है तो यह चिंता की बात है. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की मंशा संदिग्ध है. ये बड़ी चतुराई से किया गया है यह मेरे लिए चिंता का विषय है मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने को मौका नहीं मिला.
क्या है संविधान की प्रस्तावना-
आपको बता दें कि, 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद देश का एक नया संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ था. काफी बहस के बाद 26 जनवरी 1949 को संविधान सभा न नये संविधान को स्वीकृति दी थी. 26 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से लागू हुआ था.
संविधान की प्रस्तावना संविधान का संक्षिप्त परिचयात्मक वक्तव्य है जिसमें संविधान के मूलभूत तत्व समाहित हैं इसलिए इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है. हालांकि संविधान बनने के बाद से समय और आवश्यकतानुसार इसमें लगातार संशोधन हो रहे हैं. साल 1976 में इंदिरा गांधी की सरकार में संविधान में 42वां संशोधन किया गया. उस दौरान तीन नए शब्द, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को संविधान में जोड़े गए.
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