हुसैन की पेंटिंग से जुड़े मामले में अदालत का प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इनकार

नयी दिल्ली:  दिल्ली की एक अदालत ने उस कला वीथिका के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध बृहस्पतिवार को ठुकरा दिया, जिस पर दिवंगत चित्रकार एमएफ हुसैन के दो चित्रों के प्रदर्शन के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया है.

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Courtesy: Social Media

नयी दिल्ली:  दिल्ली की एक अदालत ने उस कला वीथिका के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध बृहस्पतिवार को ठुकरा दिया, जिस पर दिवंगत चित्रकार एमएफ हुसैन के दो चित्रों के प्रदर्शन के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया है.

न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी साहिल मोंगा ने बुधवार को पारित आदेश में कहा कि मामले के सभी तथ्य और परिस्थितियां शिकायतकर्ता की जानकारी में हैं और दिल्ली आर्ट गैलरी (डीएजी) की प्रदर्शनी के सीसीटीवी फुटेज और संबंधित पेंटिंग पहले ही जब्त कर ली गई हैं.

न्यायाधीश मोंगा ने कहा, “ जांच एजेंसी की ओर से इस स्तर पर कोई और जांच करने या साक्ष्य जुटाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी साक्ष्य शिकायतकर्ता को प्रदान कर दिए गए हैं और ये रिकॉर्ड पर भी उपलब्ध हैं.”

न्यायालय ने कहा कि यह मामला अदालत के समक्ष शिकायत के रूप में आगे बढ़ सकता है और उसने दिल्ली आर्ट गैलरी प्राइवेट लिमिटेड, इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक आशीष आनंद तथा निदेशक अश्विनी आनंद को 12 फरवरी के लिए नोटिस जारी किया.

न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा है कि संबंधित पेंटिंग जब्त कर ली गई हैं. उन्होंने रेखांकित किया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि संज्ञेय अपराध का पता नहीं लगाया जा सका है.

न्यायाधीश ने 20 जनवरी को कला वीथिका में प्रदर्शित पेंटिंग को जब्त करने का आदेश दिया था तथा दलीलें सुनने के बाद प्राथमिकी पर आदेश सुरक्षित रख लिया था.

चित्रों में भगवान हनुमान और भगवान गणेश को दर्शाया गया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता और अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने कहा कि हुसैन की पेंटिंग में सनातन धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं - हनुमान और गणेश - का अपमान किया गया है.

उन्होंने दलील दी, ‘‘यह अश्लीलता है. सबसे पूजनीय देवताओं को अश्लील तरीके से चित्रित करना जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण अपमान है. हुसैन दुनिया के सबसे महान कलाकार हो सकते हैं, लेकिन उन्हें मेरे आराध्यों का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है.’’

उन्होंने दावा किया कि यह एक विज्ञापन था और हजारों लोगों ने इसमें ‘‘देवताओं का उपहास’’ करते हुए चित्र देखा.

सचदेवा ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसा मामला बनता है कि इस तरह की आपत्तिजनक पेंटिंग को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए प्रदर्शित किया गया और इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.’’

जब्ती का आदेश देते हुए मोंगा ने पुलिस की कार्रवाई रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जांच अधिकारी ने कला वीथिका के सुरक्षा कैमरे की फुटेज और नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर को जब्त कर लिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कला प्रदर्शनी निजी तौर पर आयोजित की गई थी और सवालों के घेरे में आई दो पेंटिंग सहित हुसैन की मूल कृतियों को ही प्रदर्शित किया गया था.

अदालत ने 20 जनवरी के आदेश में कहा,‘‘इस स्तर पर शिकायतकर्ता ने जांच अधिकारी को संबंधित पेंटिंग जब्त करने का निर्देश देने के लिए एक आवेदन दिया है. उक्त आवेदन में उल्लिखित तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, उक्त आवेदन को स्वीकार किया जाता है और जांच अधिकारी को उक्त पेंटिंग जब्त करने का निर्देश दिया जाता है.’

हुसैन को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उनका 2011 में निधन हो गया था.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)
 

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