उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक हैरान करने वाला साइबर अपराध सामने आया है, जहां अपराधियों ने एक परिवार को पांच दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके एक करोड़ 10 लाख रुपये ठग लिए. पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और अपराधियों की तलाश की जा रही है.
साइबर अपराधी अब एक नए तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जाता है. इस तरीके में अपराधी खुद को फर्जी सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो कॉल के माध्यम से डराते-धमकाते हैं और उनसे बड़ी रकम की मांग करते हैं. इस ठगी का शिकार हुए व्यक्ति ने अपनी शिकायत में बताया कि कैसे उसे और उसके परिवार को लगातार धमकाया गया.
सेक्टर-19 निवासी चंद्रभान पालीवाल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि एक फरवरी को दोपहर दो बजकर 40 मिनट पर उनके मोबाइल फोन पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई. कॉल करने वाले व्यक्ति ने पालीवाल को बताया कि उसका सिम कार्ड ‘ब्लॉक’ करने की धमकी दी जा रही है और उसे भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) से संपर्क करने को कहा गया.
इसके बाद, पालीवाल से कहा गया कि मामला मुंबई की साइबर अपराध शाखा से जुड़ा है. कुछ देर बाद, खुद को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने मुंबई के कोलावा पुलिस थाने से पालीवाल को वीडियो कॉल की. उस व्यक्ति ने पालीवाल को डराया कि उस पर आरोप है कि वह लोगों से पैसा वसूलने के लिए उन्हें डरा-धमका रहा था और इसके खिलाफ 24 मामले दर्ज हैं. इसके बाद पालीवाल को बताया गया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) उसके खिलाफ जांच कर रहा है.
साइबर अपराधियों ने पालीवाल के अलावा उसकी पत्नी और बेटी को भी ‘वीडियो कॉल’ के माध्यम से धमकाया और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया. अपराधियों ने पालीवाल के परिवार को यह धमकी दी कि यदि उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस के अनुसार, पांच दिनों में पालीवाल ने साइबर अपराधियों को एक करोड़ 10 लाख रुपये दे दिए.
पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अपराधियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. इस घटना ने साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को लेकर एक बार फिर लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता का अहसास दिलाया है.