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भारत में तेजी से बढ़ रहा HMPV का खतरा, अपने बच्चों का ऐसे रखें ख्याल

कोरोना महामारी के बाद अब एक बार फिर से भारत में नए वायरस का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है. ये वायरस बुजुर्गों और बच्चों को अपना निशाना बना रहा है. इससे बचने के लिए और अपने बच्चों को बचाने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है.

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Courtesy: Social Media

HMPV Infection Advice: भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के सात मामलों की पुष्टि की गई है. जिनमें बेंगलुरु के दो, अहमदाबाद  एक और अन्य रा्ज्यों के  मामला शामिल है. यह वायरस बच्चों, वृद्धों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए विशेष रूप से गंभीर साबित हो सकता है.  

बेंगलुरु और मैसूरु के कई स्कूलों ने स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए हैं. माता-पिता को सलाह दी गई है कि यदि बच्चों में हल्के लक्षण भी हों तो उन्हें स्कूल न भेजें. इसके अतिरिक्त कर्नाटक सरकार ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. खांसी-छींक के दौरान उचित स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूकता बढ़ाई है.

एचएमपीवी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, बच्चों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना और स्वच्छता व स्वास्थ्य प्रथाओं का पालन करना अत्यधिक आवश्यक है. सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से इस संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है.  

 HMPV से बचाव के लिए महत्वपूर्ण उपाय  

1. स्वच्छता प्रथाओं को अपनाएं  

  • बच्चों को कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोने की आदत सिखाएँ.  
  • जब साबुन और पानी उपलब्ध न हो, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें.  
  • उन्हें बार-बार आंख, नाक और मुँह को छूने से बचने की सलाह दें.  

2. स्वच्छ वातावरण बनाए रखें  

 

  • घर की सतहों जैसे खिलौनों, दरवाज़े के हैंडल और काउंटरटॉप्स को नियमित रूप से कीटाणु रहित करें.  
  • घर और स्कूल के वातावरण को अच्छी तरह हवादार रखें.  
  • बच्चों को सिखाएं कि वे सार्वजनिक स्थानों पर अनावश्यक वस्तुओं को न छुएं.  

3. स्वास्थ्य पर करीबी निगरानी रखें  

  • बच्चों में बुखार, खांसी, या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.  
  • बीमार बच्चों को घर पर ही रखें ताकि संक्रमण दूसरों तक न फैले.  

माता-पिता के लिए सलाह  

1. घबराएं नहीं

 एचएमपीवी के लिए वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन माता-पिता को शांत रहना चाहिए और बच्चों में लक्षण दिखने पर घबराने से बचना चाहिए.  

2. स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें: 

बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को ओवर-द-काउंटर दवाएँ न दें. किसी भी लक्षण के पहले संकेत पर बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनके निर्देशों का पालन करें.  

3. पौष्टिक भोजन और हाइड्रेशन:

 बच्चों को पौष्टिक आहार दें और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भरपूर पानी पीने को प्रेरित करें.  
 

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