उदित राज ने मायावती पर साधा निशाना, कहा- उनके दुर्व्यवहार और भ्रष्टाचार के बावजूद बसपा की राजनीतिक ताकत बनी रही

लखनऊ : पूर्व सांसद उदित राज ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके "दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार और लालच" के बावजूद पार्टी की "राजनीतिक ताकत लंबे समय तक बरकरार" रही. उदित राज ने यह बयान सोमवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया. 

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Courtesy: social media

लखनऊ : पूर्व सांसद उदित राज ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके "दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार और लालच" के बावजूद पार्टी की "राजनीतिक ताकत लंबे समय तक बरकरार" रही. उदित राज ने यह बयान सोमवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया. 

बसपा और बहुजन आंदोलन का इतिहास

उदित राज ने बहुजन समाज पार्टी के इतिहास और कांशीराम द्वारा किए गए बहुजन जागरण के बारे में भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "1980 के दशक में कांशीराम जी ने उत्तर प्रदेश में बहुजन जागरण की शुरुआत की थी, जो 2000 के दशक में अपने चरम पर पहुंच गया. भले ही आंदोलन की परिणति राजनीति में हुई, लेकिन इसका मूल उद्देश्य और आधार हमेशा सामाजिक न्याय रहा है."

मायावती के शासन और पार्टी के संघर्ष

मायावती पर हमला करते हुए उदित राज ने कहा कि मायावती की "क्रूरता और अक्षमता" के बावजूद पार्टी के कार्यकर्ता और मतदाता लगातार संघर्ष करते रहे. उन्होंने आगे कहा, "कार्यकर्ताओं के घर बिक गए, उनके बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाई, और उनके साथ क्रूरता की गई, फिर भी वे बहुजन राज लाने के लिए संघर्ष करते रहे."

दलित और मुस्लिम समुदाय की स्थिति पर टिप्पणी

उदित राज ने दलितों और मुस्लिम समुदाय की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, "जिस तरह दलितों की हालत खराब थी, आज मुस्लिम समुदाय भी उसी दौर से गुजर रहा है. मुस्लिम समुदाय अकेले इस स्थिति से नहीं लड़ सकता. दलित भी अकेले सक्षम नहीं हैं. जब भी मुस्लिम समुदाय अपनी समस्या उठाता है, तो उसका नतीजा सांप्रदायिकता में बदल जाता है."

डोमा परिसंघ की पहली रैली

उदित राज ने यह भी घोषणा की कि एक दिसंबर 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में डोमा परिसंघ की पहली रैली आयोजित की जाएगी. इस रैली में वक्फ बोर्ड को बचाने की मांग उठाई जाएगी.  पूर्व लोकसभा सदस्य उदित राज वर्तमान में दलित, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), अल्पसंख्यक और आदिवासी (डीओएमए) परिसंघ के प्रमुख हैं, और वे समाजिक न्याय और समानता के लिए निरंतर संघर्ष करते आ रहे हैं.
 

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