Maharashtra CM: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में अब कुछ ही घंटे बाकी हैं.लेकिन शिवसेना नेताओं की हालिया टिप्पणियां राज्य की राजनीति में कई सवाल खड़े कर रही हैं. शिवसेना नेता उदय सामंत और संजय शिरसाठ की टिप्पणियों ने उपमुख्यमंत्री पद को लेकर नई अटकलें जन्म दी हैं.जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति और अधिक जटिल हो गई है.
शिवसेना नेता संजय शिरसाठ ने संकेत दिया कि पार्टी प्रमुख और मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अभी भी महायुति की महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद लेने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं. शिरसाठ ने कहा कि पार्टी के विधायक शिंदे को भाजपा के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं.
शिरसाठ ने कहा कि हमारे नेता एकनाथ शिंदे हैं और हमें पूरा विश्वास है कि वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. हम उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं और इस पद के लिए तैयार करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में शिंदे को लेकर कोई असमंजस नहीं है. लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वह इस पद को स्वीकार करें. उदय सामंत ने भी इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद संभालेंगे. अगर वह यह पद नहीं लेते तो हमारे कोई भी विधायक सरकार में कोई जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करेंगे. हमारे 59 विधायक इस पद के लिए इच्छुक नहीं हैं. सामंत का यह बयान इस बात को साफ करता है कि शिवसेना के भीतर शिंदे के उपमुख्यमंत्री बनने को लेकर गहरी उम्मीदें हैं. यदि वह इस प्रस्ताव को नकारते हैं तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है.
जहां एक तरफ शिवसेना में उपमुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस जारी है. वहीं भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह पुष्टि की कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. जिससे इस मुद्दे पर और भी ज्यादा भ्रम पैदा हो गया है. एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने भी साफ तौर पर कहा था कि वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. जिससे राज्य की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण स्थान और शक्ति बनी रहती है. महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में इन सभी घटनाओं के बीच शपथ ग्रहण समारोह को लेकर असमंजस और सस्पेंस बना हुआ है. भाजपा और शिवसेना के नेताओं के बयान इस बात को दिखाते हैं कि राज्य की सरकार में नेतृत्व को लेकर अब भी कुछ सवाल बाकी हैं. शिंदे के उपमुख्यमंत्री पद पर विचार करने और स्वीकार करने के बाद ही राज्य में स्थिरता का कोई संकेत मिल पाएगा.