Election Commission of India: भारतीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप लगाए गए थे. आयोग की ओर से कहा गया कि EPIC नंबर फर्जी या डुप्लिकेट मतदाता को नहीं दर्शाता है. यह स्पष्टीकरण सोशल मीडिया और विपक्षी नेताओं द्वारा विभिन्न राज्यों में मतदाताओं को दिए गए समान EPIC नंबरों के बारे में उठाई गई चिंताओं के बीच आया है.
चुनाव निकाय ने रविवार को स्पष्ट किया कि EPIC नंबरों का दोहराव केंद्रीकृत प्रणाली को अपनाने से पहले विभिन्न राज्यों द्वारा समान अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला के उपयोग के परिणामस्वरूप हो सकता है. आयोग की ओर से इस बात पर पूरा तर्क देते हुए सोसल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया गया है.
ECI ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण समान EPIC नंबर वाले मतदाताओं के लिए अलग-अलग हैं. आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि केवल EPIC नंबर ही किसी मतदाता की मतदान करने की पात्रता निर्धारित नहीं करता है. बयान में कहा गया कि ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है. जहां उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज है और कहीं और नहीं.
चुनाव निकाय ने आश्वासन दिया कि डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर के किसी भी मामले को एक अद्वितीय ईपीआईसी नंबर आवंटित करके ठीक किया जाएगा. इस प्रक्रिया में सहायता के लिए ईआरओनेट 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा. विपक्षी दलों द्वारा सत्तारूढ़ सरकार पर मतदाता सूची से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाने के जवाब में यह स्पष्टीकरण आया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र की मतदाता सूची में अतिरिक्त मतदाताओं को परिणाम को प्रभावित करने के लिए जोड़ा गया था. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि हरियाणा और गुजरात के मतदाताओं के नाम समान ईपीआईसी नंबर के साथ बंगाल की मतदाता सूची में जोड़े गए हैं.