Farmer requesting to supreme court bench: किसान और सरकार के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा है. किसान अपनी मांगो को लेकर बार-बार सड़क पर बैठ रहें हैं. इसी क्रम में अब किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व में कई किसानों ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उनकी ओर से केंद्र को कानूनी रुप से गारंटीकृत समर्थन मूल्य के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश लागू करने के लिए कहा जाए.
शीतकालीन सत्र के दौरान स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने कृषि उपज के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के विचार का समर्थन किया है और इसे आवश्यक बताया है.
स्थायी समिति ने यह भी सिफारिश की कि कृषि मंत्रालय MSP प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में एक रोडमैप तैयार करे, जो 2021 से कई किसान यूनियनों की एक प्रमुख मांग है. दल्लेवाल ने शनिवार को मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ को लिखे पत्र में कहा कि मैं आपसे संसदीय समिति की रिपोर्ट और किसानों की भावनाओं के अनुरूप MSP गारंटी कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध करता हूं. दल्लेवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के लेटरहेड पर याचिका पर हस्ताक्षर किए, जो वर्तमान में कानूनी रूप से समर्थित एमएसपी के लिए विरोध कर रहे दो संगठन हैं.
एमएसपी कृषि उपज के लिए संघीय रूप से तय की गई न्यूनतम दरें हैं. जिसका उद्देश्य एक बुनियादी न्यूनतम मूल्य का संकेत देना है. जिससे संकटग्रस्त बिक्री से बचने में मदद मिलती है. हालांकि, किसानों को ज्यादातर फसलों के लिए बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य मिलते हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से कम हो सकते हैं. 20 दिसंबर को पेश की गई स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी को लागू करना न केवल किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक है.
संसदीय समिति की ओर से कहा गया कि कानूनी गारंटी के रूप में एमएसपी के कार्यान्वयन के लाभ और फायदे इसकी चुनौतियों से कहीं अधिक हैं. एमएसपी के माध्यम से सुनिश्चित आय के साथ, किसानों द्वारा अपनी कृषि पद्धतियों में निवेश करने की अधिक संभावना है, जिससे खेती में उत्पादकता और स्थिरता बढ़ेगी. यदि सरकार सिफारिश पर कार्रवाई नहीं करना चाहती है, तो उसे स्थायी समिति को औपचारिक स्पष्टीकरण देना होगा कि यह व्यवहार्य क्यों नहीं है.