दिल्ली में कूच करेंगे किसान, सरकार की भी पूरी तैयारी! शंभू बार्डर पर सुरक्षाबल तैनात

देश में एक बार फिर किसान अपनी मांगो को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं. वहीं सरकार भी किसानों के होने वाले इस प्रदर्शन को लेकर तैयारी में हैं. एक ओर जहां किसानों द्वारा शंभू बार्डर से 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरुआत की जा रही है. वहीं सरकार जगह-जगह पर सुरक्षाबलों को तैनात किया है.

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Courtesy: Social Media

Farmers Protest: देश में आज से एक बार फिर सरकार और किसान आमने-सामने आ चुके हैं . अपनी मांगो को लेकर किसान सड़क पर उतर चुके हैं. आज से पंजाब के किसान शंभू बार्डर से 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरुआत कर रहे हैं. हालांकि सरकार द्वारा इसे रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है. हरियाणा के अंबाला जिले में इस मार्च को रोकने के लिए निषेधाज्ञा लागू की गई है. प्रशासन ने एनएच-44 पर सुरक्षा कड़ी कर दी है, जिससे यातायात प्रभावित होने की संभावना है. 

अंबाला में धारा 144 लागू करते हुए प्रशासन ने पाँच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी है. शंभू सीमा और आसपास के क्षेत्रों में नोटिस जारी किए गए हैं. वहीं जिले में भी धारा 144 लागू कर दी गई है. यहां किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल पिछले 10 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं. हरियाणा और पंजाब पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात किए हैं. पुलिस ने सिंघु सीमा पर भी कड़ी निगरानी की तैयारी की है. जिससे की किसी भी खराब स्थिति में सब कुछ कंट्रोल किया जा सके.  

क्या है किसानों की मांग?

इस मार्च में शामिल किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है. उनके द्वारा लगातार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग की जा रही है. इसके अलावा कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम को बहाल करना, बिजली दरों में बढ़ोतरी रोकना, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय और 2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा समेत अन्य कई मांगे की जा रही है.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेतृत्व में यह जत्था दोपहर 1 बजे संसद तक मार्च करने की योजना बना रहा है. 25 नवंबर से उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से करीब 5,000 किसानों ने भूमि मुआवजे की मांग करते हुए दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था. हालांकि उन्हें नोएडा-दिल्ली सीमा पर रोक दिया गया. 

पहले भी सड़क पर उतर चुके किसान

नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर भारी ट्रैफिक जाम और झड़पों के बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सीमा से पहले रोक दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस विरोध पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन सार्वजनिक असुविधा नहीं होनी चाहिए. 21 फरवरी को संसद तक मार्च के दौरान सीमा पर झड़प में किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी. जिसके कारण किसानों के बीच आक्रोश का माहौल था. उनका कहना था कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े थे. जिसमें उनकी मौत हो गई थी. 

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