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मकर संक्रांति पर महाकुंभ में पहला अमृत स्नान, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं का संगम है. आज संगम में पहला अमृत स्नान होना है. श्रद्धालुओं का उत्साह और प्रशासन की सक्रियता इस आयोजन को सफल बना रही है.

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Courtesy: Social Media

Amrit Snan: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ जारी है. मकर संक्रांति के अवसर पर संगम में पहला अमृत स्नान मंगलवार यानी 14 जनवरी को होगी. इससे पहले पौष पूर्णिमा पर संगम में स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे. महाकुंभ का यह आयोजन 10,000 एकड़ क्षेत्र में फैला है और अगले 45 दिनों तक चलने वाला है.  

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर विशेष महत्व रखता है. आज के दिन पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और शंभू पंचायती अटल अखाड़ा स्नान के लिए सबसे पहले पहुंचे. सुबह 5.15 बजे शिविर से रवाना होकर 6.15 बजे घाट पर पहुंचे, जहां उन्हें 40 मिनट का समय स्नान के लिए दिया गया. संगम क्षेत्र को अखाड़ों और आम श्रद्धालुओं के स्नान के लिए दो हिस्सों में विभाजित किया गया. अखाड़ों के स्नान के बाद श्रद्धालु दिनभर पवित्र स्नान कर सकेंगे.  

महाकुंभ में यूपी सरकार की महा तैयारी

उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं. मेला क्षेत्र में 1.5 लाख शौचालय, 15,000 सफाई कर्मचारी और 1.5 लाख टेंट की व्यवस्था की गई है. वहीं गंगा सेवा दूत (2,500 स्वयंसेवक) लगातार सफाई और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं.

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है. साथ ही 2,750 भीड़ निगरानी कैमरे और 24x7 निगरानी के लिए एकीकृत कमांड सेंटर बनाया गया है. इसके अलावा इस आयोजन को और भी सफल बनाने के लिए फ्लोटिंग पुलिस चौकी की स्थापना, 1,800 हेक्टेयर में पार्किंग की सुविधा, खोया-पाया केंद्रों के लिए 10 डिजिटल सेंटर और 69,000 एलईडी लाइट्स और सोलर हाइब्रिड स्ट्रीट लाइटिंग की गई है. 

अमृत स्नान महत्वपूर्ण

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अखाड़ों की सक्रिय भागीदारी होती है. मकर संक्रांति हिंदू संस्कृति में सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायन की यात्रा का प्रतीक है. संगम में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान का महत्व अनंत फलदायी माना गया है.

संगम क्षेत्र में लाखों श्रद्धालु पहले ही पहुंच चुके हैं. पौष पूर्णिमा के स्नान के बाद श्रद्धालु मकर संक्रांति पर एक और पवित्र डुबकी के लिए रुके हैं. राम नाम बैंक के संस्थापक आशुतोष वार्ष्णेय ने इसे अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला स्नान बताया है. जिससे इस आयोजन की धार्मिक महत्ता और बढ़ गई है.  

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