One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान जनता के बीच एक बड़ा वादा किया था. उन्होंने कहा था कि देश में जल्द से जल्द वन नेशन वन इलेक्शन नियम लाया जाएगा. जिससे सरकार चुनाव पर कम और जनता के लिए काम करने पर ज्यााद समय दे पाएगी.
अब इस आइडिया को कानून बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. इसी क्रम में बुधवार को जेपीसी की पहली बैठक आयोजित की गई. जेपीसी की पहली बैठक में एनडीए गठबंधन के 22 और इंडिया गठबंधन के 15 सदस्य शामिल हुए. इसके अलावा अन्य दो अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया.
जेपीसी की बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और साढ़े चार घंटे तक चली. इसमें संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक पर चर्चा हुई. ये विधेयक भारत में एक साथ चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त करेंगे. भाजपा के संजय जायसवाल और वीडी शर्मा ने इस प्रस्ताव को लोकतंत्र की भावना और जनता की इच्छा के अनुरूप बताया. दूसरी ओर, कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला और मनीष तिवारी ने इसे संघीय ढांचे और संविधान के मूल ढांचे के विपरीत बताया. तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के 1967 के फैसले (गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य) का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के मौलिक अधिकारों में बदलाव नहीं किया जा सकता.
जनता दल (यूनाइटेड) ने संघवाद और सांसदों के अधिकारों पर चिंता व्यक्त की. पार्टी ने यह भी कहा कि अगर सरकारें अल्पकालिक कार्यकाल के लिए चुनी जाएंगी तो उन्हें जनसमर्थन और अपने एजेंडे को पूरा करने में कठिनाई होगी. वहीं तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने सवाल उठाया कि क्या संसद को एक साथ चुनाव कराने का अधिकार है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के विजयसाई रेड्डी ने तर्क दिया कि इससे राष्ट्रीय दलों को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय दल कमजोर होंगे. भाजपा सदस्यों ने 1957 के उदाहरण का हवाला दिया, जब सात राज्य विधानसभाओं को एक साथ चुनाव सुनिश्चित करने के लिए भंग किया गया था. पार्टी ने दावा किया कि इससे चुनावी खर्च कम होगा और शासन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा. शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि लगातार चुनावों से विकास कार्य बाधित होते हैं.
केंद्रीय कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने पैनल के प्रत्येक सदस्य को 18,000 पन्नों के दस्तावेजों से भरा एक सूटकेस दिया. जिसमें पृष्ठभूमि की जानकारी और कोविंद पैनल की रिपोर्ट शामिल थी. जेपीसी की बैठक में विपक्ष ने एक साथ चुनाव कराने से लोकतांत्रिक जवाबदेही और संघवाद पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सवाल उठाए. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि चुनाव लागत से संबंधित सभी रिपोर्टें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के आने से पहले की हैं, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं. जेपीसी की अध्यक्षता भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं. समिति ने हर वर्ग से सुझाव लेने की बात कही है. पैनल 2025 के बजट सत्र तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.