नयी दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिसरी अपने चीनी समकक्ष के साथ वार्ता के लिए रविवार से दो दिवसीय यात्रा पर बीजिंग जाएंगे. यह डेढ़ महीने से भी कम समय में भारत से चीन की दूसरी उच्चस्तरीय यात्रा होगी.
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने बीजिंग की यात्रा की थी और सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता के ढांचे के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की थी.
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश सचिव विक्रम मिसरी भारत और चीन के बीच विदेश सचिव-उपमंत्री तंत्र की बैठक के लिए 26 और 27 जनवरी को बीजिंग की यात्रा करेंगे.’’
बयान में कहा गया है, ‘‘इस द्विपक्षीय तंत्र की बहाली नेतृत्व स्तर पर हुए समझौते से हुई है, जिसमें भारत-चीन संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की जाएगी. इसमें राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंध जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं.’’
उम्मीद है कि दोनों पक्ष वार्ता में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के तरीकों और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
चीन भारत से कहता रहा है कि वह दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें पुनः शुरू करने तथा चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने में सुविधा प्रदान करने पर सहमत हो.
एसआर वार्ता तंत्र और ऐसे अन्य प्रारूपों को पुनर्जीवित करने का निर्णय 23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था.
करीब 50 मिनट की बैठक में मोदी ने मतभेदों और विवादों से उचित तरीके से निपटने और उनसे सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को प्रभावित नहीं होने देने के महत्व को रेखांकित किया था.
एसआर वार्ता में भारत ने दोनों देशों के बीच समग्र सीमा मुद्दे के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर जोर दिया था.
डोभाल और वांग ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदी डेटा साझा करने और सीमा व्यापार सहित सहयोग के लिए ‘‘सकारात्मक’’ दिशा पर भी ध्यान केंद्रित किया था.
भारत यह कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भारतीय और चीनी सेनाओं ने लगभग साढ़े चार साल के अंतराल के बाद दोनों क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू कर दीं.
पिछले हफ्ते, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत-चीन संबंध 2020 के बाद की सीमा स्थिति से उत्पन्न जटिलताओं से खुद को अलग करने की कोशिश कर रहा है और संबंधों के दीर्घकालिक विकास पर अधिक विचार किए जाने की आवश्यकता है.
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