Gaganyaan 2023: चांद के बाद अब गगन की बारी, इसरो का पहला ह्यूमन मिशन उड़ान भरने को तैयार

Gaganyaan 2023: क्या आपने कभी सोचा है कि, धरती से 400 किलोमीटर ऊपर की दुनिया कैसी होगी? वहाँ से हमारी धरती मां यानी पृथ्वी कैसी दिखती होंगी ?. ऐसे कई सारे सवाल मन में हैं जिनका जवाब अब इसरो का अगला मिशन गगनयान देने के लिए तैयार है. दरअसल, भारत ने मनुष्य रहित अंतरिक्ष यान […]

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Gaganyaan 2023: क्या आपने कभी सोचा है कि, धरती से 400 किलोमीटर ऊपर की दुनिया कैसी होगी? वहाँ से हमारी धरती मां यानी पृथ्वी कैसी दिखती होंगी ?. ऐसे कई सारे सवाल मन में हैं जिनका जवाब अब इसरो का अगला मिशन गगनयान देने के लिए तैयार है. दरअसल, भारत ने मनुष्य रहित अंतरिक्ष यान यानी गगनयान को धरती से 400 किलोमीटर दूर भेजने के लिए  पूरी तरह से तैयार है. हालांकि जब यह प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया था, तब ये नामुमकिन सा लगा था.

अब आकाश में मानव की उड़ान-

गगनयान परियोजना में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को लॉन्चर के द्वारा 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परियोजना के लिए lvm रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है. तो आइए जानते हैं इस रॉकेट के बारे में विस्तार से जानते हैं.

यह रॉकेट इसरो का सिद्ध और सबसे विश्वसनीय भारी लिफ्ट लांचर है. गगनयान मिशन के लिए लॉन्च वाहन के रूप में इसी का इस्तेमाल किया जाएगा. इस दौरान इसके चरण ठोस चरण, तरल चरण और क्रायोजेनिक चरण शामिल हैं. LVM3 लॉन्च वाहन में सभी प्रणालियों को मानव रेटिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुबारा कॉन्फ़िगर किया गया है और इन्हें मानव रेटेड LVM3 नाम दिया गया है. एचएलवीएम3 ऑर्बिटल मॉड्यूल को 400 किमी की निचली पृथ्वी कक्षा में लॉन्च करने में सक्षम होगा.

LVM3 रॉकेट की खासियत-

इस रॉकेट में एक खास किस्म का सिस्टम इजात किया गया है. HLVM3 में क्रू एस्केप सिस्टम (CES) शामिल है जो क्विक ऐक्टिंग और, उच्च बर्न दर वाले ठोस मोटर्स के एक सेट द्वारा चलता है. यह सुनिश्चित करता है कि लॉन्च पैड पर या चढ़ाई चरण के दौरान किसी भी आपात स्थिति के मामले में क्रू मॉड्यूल को चालक दल के साथ सुरक्षित दूरी पर ले जाया जाए.

ऑर्बिटर मॉड्यूल भी खास तरीके से डिजाइन किया गया है-
 
ऑर्बिट मॉड्यूल (ओएम) जो पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, उसमें क्रू मॉड्यूल (सीएम) और सर्विस मॉड्यूल (एसएम) शामिल हैं। ओएम मानव सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त अतिरेक के साथ अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से सुसज्जित है. अगर भारत ये कारनामा कर लेता है तो सोवियत, यूएस और चीन के चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसने मनुष्य को स्पेस की सैर पर भेजा है.

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