Gandhi Jayanti: प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर गांधी जयंती मनाया जाता है. आज महात्मा गांधी की 154वीं जयंती है. अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी ने अभूतपूर्व योगदान दिया है. महात्मा गांधी के देश के प्रति समर्पण और संघर्षों को भूला नहीं जा सकता है. इसलिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के बाद गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व के तौर पर पूरे देश में मनाया जाता है. तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं.
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. अहिंसा के रास्ते पर चल कर गांधी जी ने देश को आजाद करवाया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे, जिन्होंने आजादी की जंग में भारतीयों को एक मत किया और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को स्वतंत्रता दिलाई.
नस्लीय भेदभाव का सामना के खिलाफ गांधी से उठाई आवाज-
गांधी जी अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हासिल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और वहां वकालत की पढ़ाई की. भारत वापस आने के बाद गांधी जी काम के लिए उन्हें 1893 में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. हालांकि यहां उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्हें टिकट होने के बाद भी ट्रेन से इसलिए बाहर कर दिया क्योंकि ये केवल गोरे लोगों के लिए ही आरक्षित था.
तब भारतीय या किसी अश्वेत का पहली श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित था. इसके बाद गांधी जी ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और अफ्रीका में नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और वो जल्द ही भारतीय समुदाय के नेता बन गए. वहां उन्होंने अप्रवासी अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह भी किया.
गुलाम भारत की पीड़ा समझने के लिए पूरे देश का किया भ्रमण-
1915 में गांधी जी वापस भारत लौट आए और अपने गुरु श्री गोपाल कृष्ण गोखले के साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए. गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर उन्होंने गुलाम भारत की पीड़ा समझने के लिए पूरे देश का भ्रमण किया. स्वतंत्रता के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दांडी यात्रा सहित कई आंदोलन किए. उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी.
गांधी जी कैसे बने राष्ट्रपति-
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के महत्वपूर्ण योगदान और संघर्षों को देखते हुए सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को “राष्ट्रपिता” कहकर सम्मानित किया था. उसके बाद से ही गांधी जी को “राष्ट्रपिता” कहकर संबोधन किया जाने लगा. वहीं कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी. आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था. एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवन व्यतीत करने वाले गांधी जी लोग प्रेम से बापू कहने लगे.
गांधी जी की अंतिम यात्रा में करीब 10 लाख लोग हुए थे शामिल-
गांधी जी को अंग्रेजी बेहद अच्छी समझ थी लेकिन गणित में औसत और भूगोल में कमजोर छात्र थे. 1930 में उन्हें अमेरिका की टाइम मैगजीन ने मैन ऑफ द ईयर की उपाधि से नवाजा था. भागलपुर में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने 5-5 हजार में अपना ऑटोग्राफ दिया था. उन्हें 5 बार नोबेल पुरस्कारों के लिए नामित किया गया लेकिन पुरस्कार मिलने के पहले 30 जनवरी 1948 में उनकी हत्या कर दी गई. गांधी जी की अंतिम यात्रा में करीब 10 लाख लोग शामिल हुए थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े थे.