Cyber Fraud: बैंकों के नाम से हो रहे साइबर फ्रॉड पर सरकार कसेगी नकेल, बनायी जाएगी नयी गाइडलाइन

Cyber Fraud: भारतीय रिज़र्व बैंक ने साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सभी बैंकों को कहा है कि वे व्यापक रूप से स्वीकृत साइबर सुरक्षा नीति को अपनाएं

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Cyber Fraud: गौरतलब है कि केंद्र सरकार बैंकों और ग्राहकों को साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. जानकारी के अनुसार,  वित्त मंत्रालय साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों पर बात करने के लिए अगले सप्ताह प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों के मुख्य अधिकारीयों  के साथ बैठक करेगा. 

बता दें कि  इस महीने की शुरुआत में कोलकाता के यूको बैंक में एक बड़ी धोखाधड़ी हुई थी.  इस 820 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को देखते हुए यह बैठक आयोजित की जा रही है. जानकारी के अनुसार,  वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि वे अपनी डिजिटल व्यवस्था और साइबर सुरक्षा से जुड़े कदमों की समीक्षा करें. बता दें कि वित्त मंत्रालय अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एमडी और सीईओ के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा करेगा. 

 

हाल ही में यूको बैंक हुआ था साइबर फ्रॉड का शिकार 

बता दें कि दीपावली के दौरान यूको बैंक एक आईएमपीएस धोखाधड़ी का शिकार हुआ था. इस धोखाधड़ी में  यूको बैंक के कुछ खाताधारकों के अकाउंट में 820 करोड़ रुपये जमा किए गए थे. लेकिन किसी और बैंक से कोई निकासी नहीं हुई थी. बाद में  यूको बैंक अपने कस्टमर्स से  करीब 679 करोड़ रुपये या 79 फीसदी वापस लेने में सफल हुआ था. हालांकि शेष राशि खाताधारकों ने पहले ही निकाल ली थी. इस बाबत यूको बैंक ने कहा कि 10 और 13 नवंबर के बीच इमीडिएट पेमेंट सर्विस से अन्य बैंकों के खातेदारों द्वारा कुछ लेन देन की पहल की गई, जिससे यूको बैंक के खाताधारकों के खातों में पैसे जमा हो गए, जबकि वास्तव में उन बैंकों से कोई धन प्राप्त नहीं हुआ.

इसके बाद जरुरी कदम उठाते हुए यूको बैंक ने आईएमपीएस व्यवस्था को ऑफलाइन कर दिया. इसके साथ  ही बैंक ने साइबर हमले सहित कर्जदाता की आईएमपीएस सेवा के कामकाज को किसी तरह से बाधित करने की कवायद की जांच के लिए सीबीआई से बात की. जानकारी के अनुसार, दो बार पहले भी  इस तरह की धोखाधड़ी कुछ अन्य सार्वजनिक बैंकों के हो चुकी है. हालांकि तब  उसे गंभीरता से नहीं लिया गया था , क्योंकि इसकी राशि बहुत कम थी.

यूको बैंक में हुए इस बड़े साइबर फ्रॉड के बाद हाल ही में रिजर्व बैंक ने साइबर सुरक्षा की जरूरतों महसूस किया था. इस बारे में रिज़र्व बैंक ने कहा कि साइबर सुरक्षा का न्यूनतम साझा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए, जिससे कि वित्तीय संस्थानों के लिए बेहतरीन गतिविधियां और मानक स्थापित हो सकें और इससे सभी संस्थानों को साइबर हमले से खुद को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद मिल सके.

 

रिज़र्व बैंक पहले भी दे चुका है चेतावनी

गौरतलब है कि साइबर जोखिमों से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के लिए व्यापक रूप से स्वीकार्य साइबर सुरक्षा नीति अनिवार्य किया है. जिसमें साइबर जोखिम को रोकने के लिए रणनीति स्पष्ट की गई हो और कारोबार की जटिलता के स्तर के मुताबिक जोखिम स्वीकार्य स्तर तक ही रहे. रिज़र्व बैंक ने साइबर सुरक्षा नीति व्यापक आईटी नीति से अलग बनाने की जरूरत पर जोर दिया है.  बता दें कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर ने भी बैंकों की साइबर सुरक्षा का मामला  के बारे में कहा था कि बैंकों को हाइपर पर्सनलाइज्ड और टेक बैंकिंग माहौल में साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा मजबूत करनी चाहिए.