Ladakh mobile connectivity: भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख, पश्चिमी लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर सहित लद्दाख के सुदूर और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी स्थापित करके डिजिटल डिवाइड को पाटने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. यह पहल न केवल सैनिकों के लिए बल्कि सीमावर्ती गांवों के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
सैनिकों के लिए संचार क्रांति
दौलत बेग ओल्डी (DBO), गलवान, डेमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर जैसे दुनिया के सबसे कठिन इलाकों में तैनात सैनिकों को अब 4जी और 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी का लाभ मिल रहा है. 18,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित सर्दियों में कट वाली चौकियों पर तैनात सैनिक अब अपने परिवारों से जुड़ सकते हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा. विशेष रूप से, दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में 5जी टावरों की स्थापना भारत की तकनीकी शक्ति का प्रतीक है.
सरकार और सेना का संयुक्त प्रयास
यह उपलब्धि लद्दाख यूटी प्रशासन और भारतीय सेना के ऑप्टिकल फाइबर केबल इंफ्रास्ट्रक्चर और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के बीच सहयोग से संभव हुई है. फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इस साझेदारी में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसके तहत लद्दाख और कारगिल जिलों में चार प्रमुख मोबाइल टावरों सहित सेना के बुनियादी ढांचे पर कई टावर लगाए गए.
गांवों का सशक्तिकरण
यह पहल केवल सैनिकों तक सीमित नहीं है. यह सीमावर्ती ‘प्रथम गांवों’ को राष्ट्रीय डिजिटल नेटवर्क से जोड़कर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ला रही है. इसके प्रमुख लाभ हैं:
समावेशी विकास की दिशा में कदम
स्थानीय समुदायों ने इस पहल का हार्दिक स्वागत किया है. मोबाइल कनेक्टिविटी अब केवल संचार का साधन नहीं, बल्कि दूरस्थ समुदायों के लिए जीवन रेखा बन गई है, जो समावेश, अवसर और सम्मान को बढ़ावा दे रही है. भारतीय सेना का यह प्रयास विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.